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महिला को इंप्रेस कैसे करें

महिला को इंप्रेस कैसे करें

किसी लड़की को इंप्रेस करना पुरुष के लिए काफी जटिल काम होता है। चूंकि महिला और पुरुष आम तौर पर एक दूसरे के विपरीत स्वभाव वाले होते हैं ऐसे में किसी महिला के दिल में क्या बात है उसे जानना पुरुष के लिए आसान नहीं होता। महिला को इंप्रेस करने के चक्कर में पुरुष कभी-कभी 'गलत' कदम उठा लेते हैं और अपनी मित्रता की संभावना समाप्त कर लेते हैं लेकिन लड़की को इंप्रेस करने के कुछ टिप्स हैं जिन्हें अपनाकर पुरुष अपने लक्ष्य में सफल हो सकते हैं।   
लड़कियों को इंप्रेस करने के कुछ टिप्स 

आपके घर में ये स्मेल आती हैं तो सतर्क हो जाएं

आपके घर में ये स्मेल आती हैं तो सतर्क हो जाएं

होली सैमुएल्सन जब भी अपने ऑफिस की वॉशरूम में जातीं, उन्हें हाई स्कूल के बायोलॉजी क्लास की याद आ जाती है.

ऐसा कई बार हुआ, फिर उनको लगा कि वहां की गंध ही उनको अतीत में ले जाती है. वह फॉर्मल्डिहाइड के घोल में रखे गए जानवरों के नमूने की चीरफाड़ करने की याद थी.

फॉर्मल्डिहाइड जानवरों को सड़ने से बचाता है, लेकिन यह कैंसरकारी केमिकल है. लकड़ी के सस्ते फर्नीचरों को चिपकाने वाले गोंद में भी इसका इस्तेमाल होता है.

सैमुएल्सन पेशे से आर्किटेक्ट हैं. उन्होंने महसूस किया कि वह गंध शायद बाथरूम की आलमारियों से आती है.

पहिया आख़िर किसने बनाया और इसके आविष्कार में देर क्यों लगी?

पहिया आख़िर किसने बनाया और इसके आविष्कार में देर क्यों लगी?

इंसानों के लिए पहिया बेहद महत्वपूर्ण आविष्कार है. इतना ज्यादा कि इसके बिना दुनिया की कल्पना नहीं की जा सकती.

असंख्य मशीनों में पहियों को इस्तेमाल किया जाता है. मगर यह पहिया आया कहां से?

पहिया यानी एक ऐसा यांत्रिक पुर्ज़ा जो चक्र के आकार का होता है और एक धुरी पर घूमता है.

सबसे पुराने पहिये के सबूत 3500 ईसा पूर्व के हैं, जो प्राचीन मेसोपोटामिया में पाए गए थे. इन पहियों को मिट्टी के बर्तन बनाने वाले इस्तेमाल करते थे. हर जगह पहिये को लेकर जो साक्ष्य मिले हैं, उनसे पता चलता है कि पहिया बहुत सी चीज़ों से अपेक्षाकृत नया आविष्कार है.

गोल्डन मिल्क दुनिया भर में क्यों हो रहा है मशहूर

गोल्डन मिल्क दुनिया भर में क्यों हो रहा है मशहूर

गोल्डन मिल्क- दक्षिण एशिया की ये रेसिपी अब पश्चिम के कई देशों में खूब लोकप्रिय हो रही है.

लेकिन आप सोच रहे होंगे कि ये गोल्डन मिल्क आख़िर है क्या?

गोल्डन मिल्क दुनिया के अन्य देशों के लिए नई रेसिपी हो सकती है. लेकिन भारत के लोगों के लिए ये सदियों पुरानी चीज़ है. ये घर-घर में इस्तेमाल किया जाने वाला नुस्खा है जो नानी-दादी के वक्त से कई तरह की बीमारियों से बचने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता रहा है.

पश्चिमी देश आज जिसे 'गोल्डन मिल्क' कह रहे हैं, वो भारत के लोगों के लिए 'हल्दी वाला दूध' है. इसके ख़ास खूबियों की वजह से अब से कई देशों में लोकप्रिय हो रहा है.

सबसे अधिक चंद्रमा के मामले में शनि ने बृहस्पति को पीछे छोड़ा

सबसे अधिक चंद्रमा के मामले में शनि ने बृहस्पति को पीछे छोड़ा

अमरीकी खगोलविदों के अनुसार, सबसे अधिक चंद्रमा के मामले ग्रह शनि ने बृहस्पति को पीछे छोड़ दिया है.

शोधकर्ताओं ने इस ग्रह के चारो ओर चक्कर लगा रहे 20 नए चंद्रमाओं की खोज की है और इस तरह इनकी संख्या 82 हो गई है. जबकि बृहस्पति के चारो ओर 79 चांद चक्कर लगाते हैं.

नए उपग्रहों की खोज हवाई में स्थित सुबारू टेलिस्कोप की मदद से की गई.

शनि के चारो ओर चक्कर लगाने वाले इन नए उपग्रहों का व्यास 5 किलोमीटर है. इनमें से 17 उपग्रह शनि की विपरीत दिशा में चक्कर लगाते हैं.

शुक्राणु पर अंकुश वाली गोलियां बाज़ार में क्यों नहीं आती?

दुनिया भर के वैज्ञानिक लगभग आधी सदी से पुरुषों के इस्तेमाल के लिए गर्भनिरोधक जैसी गोली विकसित करने पर काम कर रहे हैं.

इससे जुड़ी कई बेहतरीन रिपोर्ट तो देखने को मिलती हैं लेकिन अभी भी इन गोलियां मेडिकल स्टोर्स तक नहीं पहुंच पाई हैं.

पैसों की कमी और पुरुषों की उदासीनता की वजह से इन गोलियों का उत्पादन बड़े पैमाने पर नहीं हो पाया. इसके अलावा अभी भी महिलाओं से ही यह उम्मीद की जाती है कि गर्भ न ठहरने की ज़िम्मेदारी वो उठाएं.

हालांकि कई रिसर्च से यह पता चला है कि अगर पुरुषों के लिए ऐसी गोलियां होतीं तो पुरुष आसानी से उसे स्वीकार कर लेते.

बिना ऑक्सीजन के जीने वाले जीव

बिना ऑक्सीजन के जीने वाले जीव

वैज्ञानिकों ने पहली बार ऐसे जीवों की खोज की है जो बिना ऑक्सीजन के जी सकते हैं और प्रजनन कर सकते हैं.

ये जीव भूमध्यसागर के तल पर मिले हैं.

इटली के मार्श पॉलीटेकनिक विश्वविद्यालय में कार्यरत रॉबर्तो दोनोवारो और उनके दल ने इन कवचधारी जीवों की तीन नई प्रजातियों की खोज की है.

दोनोवारो ने बीबीसी को बताया कि इन जीवों का आकार क़रीब एक मिलीमीटर है और ये देखने में कवच युक्त जेलीफ़िश जैसे लगते हैं.

चंद्रयान 2: लॉन्चिंग से लेकर अब तक की पूरी कहानी। दी लल्लनटॉप शो

दी लल्लनटॉप शो के इस एपिसोड में आप देखेंगे:

1. चांद पर भारत के सफल सफर की कहानी

2. वो 15 मिनट जो बेहद डरावने होने वाले हैं 

3. 978 करोड़ रुपये खर्च कर देश को क्या मिलेगा?

4. चांद से ये सब खोजकर लाएगा चंद्रयान

5. चंद्रयान से क्यों याद आई रिक्शे में लदी रॉकेट की तस्वीर

रक्तचाप को संतुलित रखने में शिक्षा की भूमिका अहम है.

रक्तचाप को संतुलित रखने में शिक्षा की भूमिका अहम है.

अमरीका के शोधकर्ताओं का कहना है कि रक्तचाप को संतुलित रखने में शिक्षा की भूमिका अहम है. उल्लेखनीय है कि उच्च रक्तचाप का संबंध हृदयरोग, पक्षाघात और गुर्दा बेकार हो जाने से जोड़ा गया है. 'बीएमसी पब्लिक हेल्थ' पत्रिका मे प्रकाशित इस शोध के नतीजे बताते हैं कि कम शिक्षित महिलाओं में कम शिक्षित पुरुषों की अपेक्षा उच्च रक्तचाप का ख़तरा ज़्यादा रहता है

ब्राउन विश्वविद्यालय में ये शोध करवाने वाले प्रोफेसर एरिक लौक्स ने कम शिक्षित महिलाओं में उच्च रक्तचाप के आधारभूत कारणों को भी रेखांकित किया.

पिता बनने के बाद पुरूषों में यौन उत्तेजना और टेस्टोस्टेरोन में कमी आने लगती है.

पिता बनने के बाद पुरूषों में यौन उत्तेजना और टेस्टोस्टेरोन में कमी आने लगती है.

अमरीका के शोधकर्ताओं का कहना है कि पिता बनने के बाद पुरूषों में यौन उत्तेजना और आक्रामकता बढ़ाने वाले हार्मोन टेस्टोस्टेरोन में कमी आने लगती है. पाँच साल से भी ज़्यादा समय तक चले शोध में ये नतीजे सामने आए हैं. नॉर्थवेस्ट युनिवर्सिटी टीम के शोधकर्ताओं का कहना है कि पिता बनने के बाद पुरुष पारिवारिक हो जाते है, साथ ही उनका मानसिक भटकाव भी ख़त्म हो जाता है.

टेस्टोस्टेरोन ही वो हार्मोन है जो न सिर्फ़ पुरूषों में काम भावना बढ़ाता है बल्कि उन्हें महिला सहयोगी के लायक भी बनाता है.

तो, ज़िंदगी का बड़ा फ़ैसला कब लिया जाना चाहिए?

तो, ज़िंदगी का बड़ा फ़ैसला कब लिया जाना चाहिए?

शादी, तलाक़, नौकरी बदलना या फिर कोई भी और बड़ा फ़ैसला लेने का कोई सही वक़्त होता है क्या? हम जब कोई बड़ा फ़ैसला लेते हैं, तो नफ़ा-नुक़सान तोलते हैं. आंकड़ों की मदद से ख़ुद को उसके लिए तैयार करते हैं. कई बार एक झटके में भी फ़ैसले ले डालते हैं. बहुत से लोग साल के आख़िरी महीने तक फ़ैसला टालते हैं. वहीं, कुछ ऐसे भी होते हैं जो नए साल का इंतज़ार करते हैं, फ़ैसला लेने के लिए.

तो, ज़िंदगी का बड़ा फ़ैसला कब लिया जाना चाहिए?

इस सवाल का जवाब हमारे मूड पर निर्भर करता है.

दैत्याकार चींटियाँ हुआ करती थीं

दैत्याकार चींटियाँ हुआ करती थीं

अमरीकी वैज्ञानिकों की एक टीम ने ऐसी दैत्याकार चींटियों की प्रजाति का जीवाश्म खोज निकाला हैं जिनके बारे में आज तक दुनिया अनजान थी.

वैज्ञानिकों ने चींटी की इस प्रजाति का नाम दिया है ”टाइटैनोमिरमा लुबई”.

इन चींटियों की लम्बाई दो इंच यानि पांच सेटीमीटर से भी ज़्यादा थी.

वैज्ञानिकों का मानना है कि आज के मुकाबले जब धरती ज़्यादा गर्म थी तब चींटियों की इस प्रजाति ने या तो यूरोप से उत्तरी अमरीका की ओर या फिर उत्तरी अमरीका से यूरोप की ओर पलायन किया.

वाई-फाई के माध्यम से लोगों की सटीक गिनती

वाई-फाई के माध्यम से लोगों की सटीक गिनती

शोधकर्ताओं ने नौ लोगों के साथ इसका सफल परीक्षण करने का दावा किया है। उन्होंने बताया कि गिनती का यह तरीका मुख्य रूप से वायरलेस सिग्नल में आने वाले बदलावों पर निर्भर है। वाई-फाई कार्ड्स की सीधी लाइन में लोगों की मौजूदगी से संकेत कमजोर हो जाते हैं।

भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में चुनावी रैलियों में जुटी भीड़ की संख्या को लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं, जिसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो पाती है। अब विशेषज्ञों ने वाई-फाई के माध्यम से भीड़ में मौजूद लोगों की सटीक गिनती करने का दावा किया है।

फ़ाइजर की नज़र भारतीय कंपनी पर

फ़ाइजर की नज़र भारतीय कंपनी पर

दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक फ़ाइजर ने भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने के प्रयास तेज़ करने के संकेत दिए हैं.

कंपनी बिक्री के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनी है लेकिन भारतीय बाज़ार में इसका स्थान काफी पीछे है.

फ़ाइजर के दक्षिण एशिया विभाग के चेयरमैन गैरी बकार्रो ने हरियाणा के करनाल में कहा कि उनका पहला लक्ष्य भारतीय बाज़ार में कारोबार कर रही पाँच बड़ी दवा कंपनियों में शुमार होना है.

ऐसी संभावना है कि अगले दे वर्षों में दवा के विश्व बाज़ार में भारत तीसरे स्थान पर होगा. हमारी रणनीति यहां के बाज़ार में आगे निकलने का है.

महिला नागा साधुओं से जुड़ी ये रोचक बातें

महिला नागा साधुओं से जुड़ी ये रोचक बातें

महाकाल की नगरी उज्जैन में चल रहा सिंहस्थ कुंभ अपने परवान पर है। जहां नागा साधुओं के अलावा महिला साधुओं के भी अखाड़े है। पुरुष नागा साधुओं की तरह ही महिला साधुओं (सन्यासिनों) के लिए भी अखाड़े में कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना उनके लिए जरूरी होता है। आइए जानते है महिला साधुओं से जुड़ी कुछ खास और रोचक बातें.
साधु बनने से पहले महिला को 6 से 12 साल तक कठिन बृह्मचर्य का पालन करना होता है। इसके बाद गुरु यदि इस बात से संतुष्ट हो जाते है कि महिला बृह्मचर्य का पालन कर सकती है तो उसे दीक्षा दी जाती है।

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