MHD-01: आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिन्दी काव्य By प्रो. सत्यकाम

Language: 
English

‘MHD 01 आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिंदी कविता’ का यह 4 क्रेडिट का अनिवार्य पाठ्यक्रम है । इस पाठ्यक्रम में आदिकाव्य, भक्तिकाव्य और रीतिकाव्य का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है । आदिकाव्य के अंतर्गत पृथ्वीराज रासो और विद्यापति पदावली का अध्ययन किया गया है । भक्तिकाव्य के अंतर्गत कबीर, जायसी, सूर, मीरा और तुलसी की रचनाओं का अध्ययन किया गया है । रीतिकाव्य में बिहारी, घनानंद और पद्माकर की कविता को शामिल किया गया है । इस पाठ्यक्रम का मूल उद्देश्य आदिकालीन, भक्तिकालीन और रीतिकालीन प्रमुख रचनाओं और रचनाकारों का अध्ययन करना है । यह पाठ्यक्रम मूलतः कविता पर आधारित है इसलिए इस पाठ्यक्रम में गद्य रचनाओं को शामिल नहीं किया गया है । वैसे भी हमारे अध्ययनकाल में रची गई रचनाओं में कविता की ही प्रधानता रही है । इस युग में गद्य की धारा अत्यंत क्षीण रही है । इस पाठ्यक्रम का यह भी उद्देश्य है कि आप किसी कालखंड की विशेषताओं के अध्ययन के साथ ही उस कालखंड की कविता का भी अध्ययन करें जिससे आपको उस काल विशेष की काव्य प्रवृत्तियों और वैचारिकता को समझने में मदद मिलेगी । 

इन कवियों का चयन इस आधार पर किया गया है कि इनके अध्ययन में युग की विशिष्टतायें और प्रवृत्तियां दृष्टिगत हों । आदिकाल और भक्तिकाल की प्रत्येक रचना या रचनाकार पर दो-दो इकाइयां तैयार की गई हैं । पहली इकाइयों में रचना और रचनाकार का सामान्य परिचय, युग और पृष्ठभूमि प्रस्तुत की गई है । दूसरी इकाइयों में काव्य विशेष का अध्ययन किया गया है । रीतिकाव्य के अंतर्गत तीन कवियों को शामिल किया गया है और तीनों रचनाकारों और उनकी रचनाओं को केंद्र में रखकर एक-एक ही इकाई तैयार की गई है । इसमें रीतिकाल की तीन प्रमुख प्रवृत्तियों रीतिसिद्ध, (बिहारी), रीतिमुक्त (घनानंद) और रीतिबद्ध (पद्माकर) का एक-एक इकाइयों में अध्ययन किया गया है । यह पाठ्यक्रम आदिकालीन एवं मध्यकालीन कविता का पूर्ण अध्ययन तो प्रस्तुत नहीं करता लेकिन इसे पढ़ने के उपरांत आप इन काल खंडों की प्रमुख काव्यगत विशेषताओं और प्रमुख कवियों की रचनाओं से परिचित हो सकेंगे और इसके माध्यम से पाठ्यक्रम के अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण कवियों-रचनाकारों को पढ़ने और समझने में सक्षम होंगे ।

 

 

Course layout

Week – 1  

इकाई 1 :  पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता, भाषा और काव्यरूप  

इकाई 2 : पृथ्वीराज रासो का काव्यत्व

Week – 2

इकाई 3 : विद्यापति और उनका युग

Week – 3  

इकाई 4 : गीतिकाव्य के रूप में विद्यापति पदावली

Week – 4

इकाई 5 : कबीर की विचार चेतना और प्रासंगिकता 

Week – 5  

इकाई 6 : कबीर का काव्य शिल्प

Week – 6

इकाई 7 : सूफी मत और जायसी का पद्मावत

Week – 7

इकाई 8 : पद्मावत में लोक परंपरा और लोकजीवन

Week – 8

इकाई 9 : भक्ति आंदोलन के संदर्भ में सूर काव्य का महत्व

Week – 9

इकाई 10 : सूरदास के काव्य में प्रेम

Week – 10  

इकाई 11 : मीरा का काव्य और समाज

Week – 11

इकाई 12 : मीरा का काव्य सौंदर्य

Week – 12  

इकाई 13 : तुलसी के काव्य में युग संदर्भ

Week – 13

इकाई 14 : एक कवि के रूप में तुलसीदास

Week – 14

इकाई 15 : बिहारी के काव्य का महत्व

Week – 15  

इकाई 16 : घनानंद के काव्य में स्वच्छंद चेतना

Week – 16

इकाई 17 : पद्माकर की कविता

Books and references

 

  1. काव्यशास्त्र, डॉ. भागीरथ मिश्र

  2. संस्कृत आलोचना, आचार्य बलदेव उपाध्याय

  3. भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका, डॉ.नगेंद्र

  4. रस विमर्श, आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी 

  5. पाश्चात्य काव्यशास्त्र, डॉ.देवेन्द्रनाथ शर्मा 

Instructor bio

Profile photo

प्रो. सत्यकाम

प्रो. सत्यकाम हिंदी के आलोचक, संपादक, यात्रासाहित्य और संस्मरण लेखक तथा संप्रति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं । वर्तमान में समकुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय और निदेशक, स्वाधीनता संग्राम एवं प्रवासी अध्ययन केन्द्र के पद पर कार्यरत हैं । हिंदी आलोचना के क्षेत्र में इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हैं जैसे उपन्यास: पहचान और प्रगति; आलोचनात्मक यथार्थवाद और प्रेमचंद; दिनकर: व्यक्तित्व और रचना के आयाम (संपादन); प्रेमचंद की कहानियांः पुनरवलोकन; नई कहानी नए सवाल; भारतीय उपन्यास की दिशाएं; माटी की महक (संपादन)। ’वितुशा की छाँव’ प्रो. सत्यकाम की संस्मरणात्मक पुस्तक है जिसमें आपने सोफिया (बल्गारिया) के प्रवास का अनुभव अंकित किया है । विवेकी राय पर साहित्य अकादमी से आपका एक विनिबंध प्रकाशित है । प्रो. सत्यकाम ने कई महत्वपूर्ण पुस्तकों के अनुवाद भी किए हैं जिनमें चलकर राह बनाते हम (पाओले फ्रेरे और माइल्स हार्टन की बातचीत पर आधारित पुस्तक ‘‘वी मेक द रोड बाई वाकिंग’’, संपादक - ब्रेंडा बेल, जॉन गेवेंटा और जॉन पीटर्स), सांप्रदायिक राजनीति का आख्यान, (नैरेटिव ऑफ कम्युनल पॉलिटिक्स, प्रो. सलिल मिश्रा) ’महात्मा गांधी, कांग्रेस और भारत का विभाजन’ (महात्मा गांधी, कांग्रेस ऐंड पार्टीशन ऑफ इंडिया, श्री देवेन्द्र झा), भारत की समाचारपत्र क्रांति (द न्यूज़पेपर्स रिवोल्यूशन इन इंडिया, रॉबिन जेफ्री) उल्लेखनीय हैं। प्रो. सत्यकाम 34 वर्षों से अधिक समय से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में हिंदी में अध्यापन कार्य कर रहे हैं और दूर शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी के पाठ्यक्रमों की तैयारी में इन्होंने नूतन प्रयोग किए हैं । रेडियो और टेलीविजन पर तैयार किए गए पाठ्यक्रम ऐसे हैं जो किसी भी विश्वविद्यालय द्वारा पहली बार तैयार किए गए हैं । कई विश्वविद्यालयों में इसका अनुकरण हुआ है । रो. सत्यकाम ने दो वर्षों (2006-2008) तक सोफिया विश्वविद्यालय, बल्गारिया में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में हिंदी भाषा और साहित्य/भारतीय संस्कृति/भारत विद्या से संबंधित अध्यापन कार्य किया है । सोफिया प्रवास के दौरान भारतीय संस्कृति और हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए विश्व हिंदी दिवस और अन्य अवसरों पर सक्रिय भूमिका निभाई हैं । हिंदी के शीर्षस्थ रचनाकार प्रेमचंद और उनके समकालीन बल्गारियाई रचनाकार एलिन पेलिन के साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन किया और यह खोज की कि दोनों ही रचनाकारों के लेखन में अद्भुत समानता है जो दोनों ही देशों का सांस्कृतिक संधि स्थल भी है । सोफिया में बल्गारियाई विद्यार्थियों को पढ़ाते वक्त अभिनव प्रयोग किए और शिक्षण प्रविधि में मल्टी-मीडिया संसाधनों का उपयोग करते हुए भाषा शिक्षण को नई दिशा प्रदान की । प्रो. सत्यकाम हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में अभिनव और नूतन प्रयोग के समर्थक हैं और हिंदी को जनभाषा के रूप में प्रयुक्त करने के पक्षधर हैं।

Summary

Course Status : Upcoming
Course Type : Core
Duration : 16 weeks
Start Date : 01 Sep 2021
End Date :  
Exam Date :  
Category :
  • Humanities and Social Sciences
Credit Points : 4
Level : Postgraduate
Knowledge Partner: 

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