डिस्कवरी नए मिशन पर रवाना
Submitted by Anand on 24 March 2021 - 12:55pmअमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अमरीकी अंतरिक्ष यान डिस्कवरी को एक नए मिशन पर अंतरिक्ष में स्थित अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना किया है.
अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अमरीकी अंतरिक्ष यान डिस्कवरी को एक नए मिशन पर अंतरिक्ष में स्थित अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना किया है.
गर्मी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है...एसी ठीक करवा लेते हैं. गैस...कॉइलिंग चेक करवा लेते हैं, अब ज़रूरत महसूस होने लगी है...
शायद कुछ ऐसा ही सोचकर गुरुग्राम के सेक्टर-92 के सेरा हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले वासु ने एसी रिपेयर करने के लिए उन दो लोगों को बुलाया होगा.
वो दो लोग अब इस दुनिया में नहीं रहे, उनकी मौत हो चुकी है.
यह मामला गुरुग्राम के सेक्टर 10ए के पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया गया है.
गर्मी से राहत पाने के लिए लोग तैराक़ी करने जाते हैं और ठंडे पानी में डुबकी लगाकर राहत महसूस करते हैं.
वैसे, गर्मियों के अलावा भी ठंडे पानी में डुबकी लगाने और तैरने के अपने फ़ायदे हैं.
रूस, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे ठंडे देशों में तो बेहद सर्द पानी में डुबकी लगाने और तैरने के मुक़ाबले भी होते हैं.
हाड़ कंपाने वाली सर्दी में लोग पानी में डुबकी लगाकर रिकॉर्ड बनाते हैं और ऐसे पानी में तैरने के मुक़ाबले में शरीक़ होते हैं.
कहते हैं कि ठंडे पानी में डुबकी लगाने और तैरने के कई फ़ायदे होते हैं.
ठंडे पानी में तैराकी के जो फ़ायदे गिनाए जाते हैं, उनके मुताबिक़:
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, बच्चों का मन पढ़ाई में लगना कम हो जाता है और उनका रिज़ल्ट बिगड़ने लगता है.
ये दावा अमरीका में हुए एक अध्ययन में किया गया है. यहां के एक करोड़ स्कूली बच्चों पर 13 साल तक ये स्टडी की गई. इन बच्चों पर किए गए टेस्ट के नतीजों का विश्लेषण हावर्ड, यूसीएलए और स्टेट ऑफ जार्जिया की टीमों ने किया.
गर्मी के मौसम में परीक्षा देने वाले बच्चे हमेशा घुटन भरी गर्मी लगने की शिकायत करते हैं.
स्टडी में शामिल एक प्रोफेसर जोशुआ गुडमैन ने कहा, "टीचर और छात्र इस समस्या से जूझते हैं, इसलिए वो पहले से इस बारे में जानते हैं."
अगर आप दिल्ली और आसपास के इलाक़ों में रहते हैं, तो घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही आपको अहसास हो रहा होगा कि दिल्ली की हवा इन दिनों पहले जैसी गर्मियों की तरह नहीं है.
आंखों में जलन औ0र सांस लेने में दिक़्क़्त की शिकायत आम तौर पर गर्मियों में नहीं मिलती थी. लेकिन इस बार दिल्ली की गर्मी कुछ इसी तरह की ही है.
11 जून से दिल्ली और आसपास के इलाक़े में प्रदूषण का स्तर ख़तरे के निशान के पार पहुंचा हुआ है, ऐसा अमूमन सर्दियों में होता है, लेकिन इन गर्मियों में दिल्ली का मौसम भी कुछ ऐसा ही हो गया है.
आख़िर इसकी वजह क्या है?
इन दिनों भारत के कई इलाकों में गर्मी अपना क़हर बरपा रही है. ऐसे में घरों, दफ़्तरों और दुकानों में लगे एयर कंडिशनर ही लोगों को गर्मी की तपन से राहत दे रहे हैं.
ग्लोबल वार्मिंग के इस माहौल में एयर कंडिशनर यानी एसी की डिमांड लगातार बढ़ रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमें ठंडक देने वाले ये एसी दुनिया को और गर्म बनाते जा रहे हैं?
दरअसल एयर कंडिशनर चलाने के लिए बिजली का ज़्यादा इस्तेमाल होता है. ये अतिरिक्त बिजली हमारे पर्यावरण को और गर्म बना रही है. पर्यावरणविदों का कहना है कि साल 2001 के बाद के 17 में से 16 साल अधिक गर्म रहे हैं.
एक नए शोध में कहा गया है कि आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आजमाए जाने वाले उपाय उल्टा प्रभाव डाल सकते हैं और घातक भी सिद्ध हो सकते हैं.
कनाडा के शोधकर्ताओं का मानना है कि जिन लोगों का आत्मविश्वास किन्हीं कारणों से कम हो जाता है और वो अगर बार बार अपने बारे में सकारात्मक बयान देते हैं तो इससे उन पर बुरा असर ही पड़ता है.
शोधकर्ताओं के अनुसार सकारात्मक टिप्पणियां उन्हीं लोगों को फ़ायदा पहुंचाती है जिनका आत्मविश्वास ऊंचा रहता है.
अमरीकी वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया के भीतर एक ऐसी प्रतिरक्षात्मक प्रणाली की खोज की है जिससे वह एन्टीबायटिक दवाओं से लड़ पाता है.
आशा है कि इस खोज से मौजूदा इलाज की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकेगा.
‘साइंस’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए इस अध्ययन ने पाया कि बैक्टीरिया नाइट्रिक ऑक्साइड पैदा करता है जो बहुत तरह की एन्टीबायटिक दवाओं के असर को ख़त्म कर देता है.
ब्रिटन के एक विशेषज्ञ का कहना है कि अगर नाइट्रिक ऑक्साइड को रोका जा सके तो ख़तरनाक संक्रमणों से जूझना आसान हो जाएगा.
जगदीश चतुर्वेदी कोई आम डॉक्टर नहीं हैं. वे हेल्थ केयर का बिज़नेस भी करते हैं.
बेंगलुरु में रहने वाले डॉक्टर चतुर्वेदी ने साल 2010 से 18 मेडिकल उपकरणों को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है.
उनकी भूमिका को-इन्वेंटर यानी सह-आविष्कारकर्ता की है. ये मशीनें भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था में मौजूद कमियों को दूर करने में मदद करने के इरादे से तैयार की गई हैं.
जगदीश नई पीढ़ी के पेशेवर लोगों की उस जमात से आते हैं, जो कामकाज में आने वाली परेशानियों को न केवल हल करने बल्कि उससे पैसा बनाने का हुनर भी जानते हैं.
नए दौर का रहन-सहन सिर्फ़ हमारी ज़िंदगी पर कई तरह से असर नहीं डाल रहा.
बल्कि ये हमारे शरीर की बनावट में भी बदलाव ला रहा है.
नई रिसर्च बताती है कि बहुत से लोगों की खोपड़ी के पिछले हिस्से में एक कीलनुमा उभार पैदा हो रहा है और कुहनी की हड्डी कमज़ोर हो रही है. शरीर की हड्डियों में ये बदलाव चौंकाने वाले हैं.
हर इंसान के शरीर का ढांचा उसके डीएनए के मुताबिक़ तैयार होता है. लेकिन, जीवन जीने के तरीक़े के साथ-साथ उसमें बदलाव भी होने लगते हैं.
क्या आप किसी पार्टी में जाने के ख़याल से ही कांपने लगते हैं?
भरी महफ़िल में अपनी बात खुलकर कहने से कतराते हैं?
मीटिंग में प्रेज़ेंटेशन देने से घबराते हैं?
अगर आपका तजुर्बा ऐसा है, तो दुनिया में आप ऐसे अकेले इंसान नहीं. बहुत से लोग हैं जो संकोची और शर्मीले होते हैं. जिन्हें अजनबी लोगों से बात करने में हिचक होती है. जो पार्टियों में जाने से कतराते हैं.
हिंसा और सेक्स को लेकर साल 1973 में एक प्रयोग किया गया था, जिसमें 11 लोगों को तीन महीने के लिए समंदर में तैरते एक रॉफ़्ट (एक तरह की नाव) पर रखा गया.
मक़सद था इस बात की पड़ताल करना कि क्या विपरीत परिस्थितियों में उनमें उग्रता या हिंसा के भाव आते हैं या नहीं.
अपने समय के दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिक और बॉयोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी के विशेषज्ञ रहे सैंटियागो जीनोव्स को ये विचार नवंबर 1972 में एक विमान हाईजैक के बाद आया, जिसमें वो खुद भी सवार थे.
हिंसा और सेक्स को लेकर साल 1973 में एक प्रयोग किया गया था, जिसमें 11 लोगों को तीन महीने के लिए समंदर में तैरते एक रॉफ़्ट (एक तरह की नाव) पर रखा गया.
मक़सद था इस बात की पड़ताल करना कि क्या विपरीत परिस्थितियों में उनमें उग्रता या हिंसा के भाव आते हैं या नहीं.
अपने समय के दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिक और बॉयोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी के विशेषज्ञ रहे सैंटियागो जीनोव्स को ये विचार नवंबर 1972 में एक विमान हाईजैक के बाद आया, जिसमें वो खुद भी सवार थे.
फ्रांस्वा रॉबर्ट 40 साल से इत्र के पेशे में हैं. फ्रांस में उनका परिवार चार पीढ़ियों से यह काम कर रहा है.
वह 14 साल की उम्र में ही पारिवारिक इत्रफरोशी के कारोबार से जुड़ गए थे. उन्होंने अपने पिता का हाथ बंटाते हुए उनसे इस पेशे की बारीकियां सीखीं.
वह कहते हैं, "मैं ऐसे परिवार में पला-बढ़ा जहां मेरे पिता इत्र बनाते थे, मेरे दादा इत्र बनाते थे, मेरे परदादा इत्र बनाते थे. मुझे इसका जुनून है."
रॉबर्ट ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय इत्र ब्रांड क्विंटेसेंस का कारोबार संभालते हैं. यह कंपनी हर साल औसत 400 तरह की ख़ुशबुएं बनाती है.
गणित ऐसा विषय है, जिसमें बच्चों को अक्सर दिलचस्पी नहीं होती. बच्चों को गणित का टीचर किसी जल्लाद से कम नज़र नहीं आता.
इस विषय को नहीं पढ़ने के लिए बच्चे अपने ही तर्क देते हैं. उन्हें लगता है जोड़-जमा, घटाव और गुणा-भाग तक तो ठीक है लेकिन, रेखागणित और बीजगणित जैसे पेचीदा मसलों का रोज़मर्राह की ज़िंदगी में क्या काम?
लिहाज़ा इसे सीखने में इतनी माथा-पच्ची क्यों की जाए. यही तर्क देते थे अमरीका के अलास्का के बाशिंदे जेसन पैजेट.
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