अपनी मदद ख़तरनाक

एक नए शोध में कहा गया है कि आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आजमाए जाने वाले उपाय उल्टा प्रभाव डाल सकते हैं और घातक भी सिद्ध हो सकते हैं.
कनाडा के शोधकर्ताओं का मानना है कि जिन लोगों का आत्मविश्वास किन्हीं कारणों से कम हो जाता है और वो अगर बार बार अपने बारे में सकारात्मक बयान देते हैं तो इससे उन पर बुरा असर ही पड़ता है.
शोधकर्ताओं के अनुसार सकारात्मक टिप्पणियां उन्हीं लोगों को फ़ायदा पहुंचाती है जिनका आत्मविश्वास ऊंचा रहता है.
साइकोलॉजिकल साइंस में छपे इस शोध के अनुसार जिन लोगों का आत्मविश्वास कम होता है और वो बार बार अपने बारे में अच्छी बातें करते हैं तो इससे उनको नुकसान होता है क्योंकि वो बार बार सकारात्मक बयान देकर सच्चाई से मुंह छुपा रहे होते हैं.
'अपनी मदद स्वयं करें' की विचारधारा 150 पहले सैमुअल स्माईल्स ने शुरु की थी और उनका कहना था कि लोग अपने बारे में अच्छा सोच कर और बोल कर अपनी मदद खुद कर सकते हैं.
आने वाले दिनों में इस विषय पर किताबें छपीं जिसकी लाखों प्रतियां बिक गईं. अब यह विचारधारा पूरा का पूरा उद्योग बन चुका है.
यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू और यूनिवर्सिटी और न्यू ब्रन्सविक के शोधकर्ताओं ने लोगों से ऊंचे आत्मविश्वास और कम आत्मविश्वास वाले लोगों से यह पंक्ति दोहराने को कहा कि ''वो प्यार करने योग्य हैं.'' यह किसी की पर्सनलिटी के बारे में सकारात्म टिप्पणी है.
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों का आत्मविश्वास पहले से ही ऊंचा था उन्हें इस पंक्ति को दोहराने से थोड़ा सा फ़ायदा हुआ.
इसके बाद सभी लोगों को अपने सकारात्मक और नकारात्मक विचारों की सूची बनाने को कहा. इसमें पाया गया कि कम आत्मविश्वास वाले लोग तब अच्छे मूड में देखे गए जब वो नकारात्मक चीज़ों के बारे में सोचते रहे.
शोधकर्ताओं का कहना है कि कम आत्मविश्वास वाले लोग जब अपने सकारात्मक बयान देते हैं तो उससे उनके व्यक्तित्व में विरोधाभास पैदा होता है जो उनके लिए नुकसानदेह है.
शोध के प्रमुख जॉन वुड का कहना था, '' बार बार सकारात्मक बयान दोहराने से उन लोगों को अधिक नुकसान होता है जिन्हें इसके सबसे अधिक ज़रुरत होती है