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एक हादसे ने कैसे एक शख्स को गणित का पंडित बना दिया

एक हादसे ने कैसे एक शख्स को गणित का पंडित बना दिया

गणित ऐसा विषय है, जिसमें बच्चों को अक्सर दिलचस्पी नहीं होती. बच्चों को गणित का टीचर किसी जल्लाद से कम नज़र नहीं आता.

इस विषय को नहीं पढ़ने के लिए बच्चे अपने ही तर्क देते हैं. उन्हें लगता है जोड़-जमा, घटाव और गुणा-भाग तक तो ठीक है लेकिन, रेखागणित और बीजगणित जैसे पेचीदा मसलों का रोज़मर्राह की ज़िंदगी में क्या काम?

लिहाज़ा इसे सीखने में इतनी माथा-पच्ची क्यों की जाए. यही तर्क देते थे अमरीका के अलास्का के बाशिंदे जेसन पैजेट.

फ़ेसऐप इस्तेमाल करने वाले इसलिए रहिए सावधान

फ़ेसऐप इस्तेमाल करने वाले इसलिए रहिए सावधान

सोशल मीडिया पर फ़ेसऐप की तस्वीरें अंधाधुंध पोस्ट की जा रही हैं. यह ऐप किसी भी व्यक्ति की तस्वीर को कृत्रिम तरीक़े से बुज़ुर्ग चेहरे में तब्दील कर देता है.

लेकिन आपको अपने बुढ़ापे की तस्वीर जितनी रोमांचित कर रही है उसके अपने ख़तरे भी हैं. यह रूसी ऐप है. जब आप ऐप को फ़ोटो बदलने के लिए भेजते हैं तो यह फ़ेसऐप सर्वर तक जाता है.

फ़ेसऐप यूज़र्स की तस्वीर को चुनकर अपलोड करता है. इसमें बदलाव कृत्रिम इंटेलिजेंस के ज़रिए किया जाता है. इसमें सर्वर का इस्तेमाल होता है और ऐप के ज़रिए ही आपको फ़ोटो खींचना होता है.

क्या इंसानों जैसे होंगे भविष्य के रोबोट?

क्या इंसानों जैसे होंगे भविष्य के रोबोट?

बीते कुछ वक़्त में मानव जैसे दिखने वाले रोबोट बनाने का ट्रेंड बढ़ा है लेकिन क्या इस तरह की मानव जैसी नज़र आने वाली मशीनों को बनाना डरावना नहीं? क्या ये भविष्य के लिए संभावित ख़तरा नहीं हैं?

हालांकि, आइज़ैक ऐसिमोव के रोबोट्स पर आधारित उपन्यास, 1980 के दशक की फ़िल्म का किरदार जॉनी 5, हॉलीवुड की फ़िल्म 'एवेंजर्सः द एज ऑफ़ अलट्रॉन' और चैनल 4 की साइंस-फिक्शन ड्रामा फ़िल्म 'ह्यूमन्स.'में रोबोट्स को मानव के बेहद क़रीब दिखाया गया है. इन फ़िल्मों में रोबोट्स के बच्चे हैं, ऐसे प्राणी हैं जो भावनाओं को और मानव जैसी चेतना को समझ सकते हैं.

लेकिन ये कितना सच है और इसकी कितनी ज़रूरत है?

तीन बेहद सस्ती चीज़ें जो मिटा सकती हैं दुनिया भर से कुपोषण

तीन बेहद सस्ती चीज़ें जो मिटा सकती हैं दुनिया भर से कुपोषण

तीन बेहद सस्ती और आसानी से मिलने वाली चीज़ें कुपोषित बच्चों की हालत तेज़ी से सुधारने की क्षमता रखती हैं.

अमरीका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया है कि ये तीन चीज़ें हैं- मूंगफली, चने और केले.

इन तीनों से तैयार किए गए आहार से आंतों में रहने वाले लाभदायक जीवाणुओं की हालत में सुधार होता है जिससे बच्चों का तेज़ी से विकास होता है.

बांग्लादेश में बहुत से कुपोषित बच्चों पर किए गए शोध के नतीज़ों के मुताबिक़, लाभदायक जीवाणुओं की संख्या बढ़ने से बच्चों की हड्डियों, दिमाग़ और पूरे शरीर के विकास में मदद मिलती है.

मीठे पेय पदार्थ पीते हैं तो आपको हो सकता है कैंसर?

मीठे पेय पदार्थ पीते हैं तो आपको हो सकता है कैंसर?

फ्रांस के वैज्ञानिकों का कहना है कि फ़्रूट जूस और फ़िज़्ज़ी पोप जैसे मीठे पेय पदार्थों से कैंसर का ख़तरा बढ़ सकता है.

यह बात ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक शोध के आधार पर कही गई है. यह शोध एक लाख लोगों पर पांच सालों तक किया गया है.

यूनिवर्सिटी सरबोर्न पेरिस सिटे की टीम का मानना है कि इसकी वजह ब्लड शूगर लेवल हो सकता है. हालांकि, इस शोध को साबित करने के लिए अभी काफ़ी साक्ष्यों की आवश्यकता है और विशेषज्ञों को अभी इस पर और शोध के लिए कहा गया है.

सोलो: लद्दाख का वह पौधा जिसे मोदी ने बताया संजीवनी बूटी

सोलो: लद्दाख का वह पौधा जिसे मोदी ने बताया संजीवनी बूटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार यानी 8 अगस्त को रात 8 बजे जब राष्ट्र को संबोधित किया तो पूरी जनता टकटकी लगाए उन्हें सुन रही थी.

नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर के बारे में लिए गए सरकार के ताज़ा फ़ैसले का ज़िक्र किया और यह भी बताया कि इस फ़ैसले से किस तरह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को फ़ायदा होगा.

लद्दाख के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने एक ख़ास पौधे का ज़िक्र किया, जिसे उन्होंने 'संजीवनी बूटी' बताया.

सनस्क्रीन आपके लिए कितना सुरक्षित है?

सनस्क्रीन आपके लिए कितना सुरक्षित है?

हर मौसम की कुछ ख़ास ज़रूरत होती है.

बारिश में छाता ज़रूरी है तो सर्दी में गर्म कपड़े और सनस्क्रीन शायद गर्मियों के लिहाज़ से बेहद ज़रूरी.

लेकिन सनस्क्रीन का चलन बीते कुछ सालों में बढ़ा है. बाज़ार में तरह-तरह के विकल्प हैं. त्वचा के हिसाब से, रंगत के अनुसार और बेशक ज़रूरत के आधार पर भी.

डॉक्टर भी ये बताते हैं कि पराबैंगनी किरणों से स्किन या त्वचा का कैंसर होने का ख़तरा होता है और इसलिए भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए

विक्रम साराभाई: जिन्होंने भारत को अंतरिक्ष में पहुंचाया

विक्रम साराभाई: जिन्होंने भारत को अंतरिक्ष में पहुंचाया

डॉक्टर विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को हुआ था. कॉस्मिक रे और अंतरिक्ष पर उनकी रिसर्च के लिए उन्हें पूरी दुनिया में जाना जाता है.

इनके पिता एक अमीर कपड़ा व्यापारी थे. आज यानी 12 अगस्त को इनकी 100वीं जयंती हैं. गूगल ने डूडल बनाते हुए इनको याद किया है.

डॉक्टर विक्रम साराभाई परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष रहे थे. अंतरिक्ष की दुनिया में साराभाई ने बहुत योगदान दिया. भारत को अंतरिक्ष तक पहुंचाने में इनका बहुत बड़ा हाथ था.

डॉक्टर होमी जे. भाभा की प्लेन क्रैश में मौत के बाद 1966 में इन्होंने परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष का पद संभाला था.

ट्रांस लूनर इंजेक्शन: वो धक्का, जिससे चांद पहुंचेगा चंद्रयान-2

ट्रांस लूनर इंजेक्शन: वो धक्का, जिससे चांद पहुंचेगा चंद्रयान-2

चंद्रयान-2 अब धरती की कक्षा से बाहर निकल चुका है.

इसरो का कहना है कि 20 अगस्त तक चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंच जाएगा और फिलहाल ये धरती की कक्षा से निकलकर चांद तक पहुंचने की प्रक्रिया में है.

ऐसे में आप सोच सकते हैं कि आख़िर ये प्रक्रिया होती क्या है?

दरअसल 22 जुलाई से 14 अगस्त तक चंद्रयान-2 को धरती की कक्षा में रखा गया था.

चंद्रयान धरती के कई चक्करों को लगाते हुए धीरे-धीरे चांद की तरफ़ बढ़ने लगता है. इसी के तहत चंद्रयान-2 की धरती से दूरी बढ़ती जाती है और वो चांद के क़रीब जाता रहता है.

 

 

मॉनसून में होने वाले वायरल से कैसे बचें

मॉनसून में होने वाले वायरल से कैसे बचें

बारिश के मौसम में बीमारियां बिन बुलाए मेहमान की तरह दस्तक देती हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि बारिश के चलते कई जगहों पर जलभराव और गंदगी होने से मच्छर और ख़तरनाक बैक्टीरिया जन्म ले लेते हैं.

पानी और हवा के जरिए ये बैक्टीरिया खाने और शरीर तक पहुंचते हैं और हम बुखार व फ़्लू जैसी बीमारियों की जकड़ में आ जाते हैं.

लेकिन, अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है.

झूठ बोले कौआ काटे..

झूठ बोले कौआ काटे..

महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में झूठ बोलने की फ़ितरत ज़्यादा होती है. और तो और झूठ बोलने के बाद पुरुषों को मलाल भी कम होता है.

ये बातें एक सर्वेक्षण में सामने आई हैं. करीब तीन हज़ार लोगों के सर्वेक्षण के बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि एक ब्रितानी पुरुष औसतन दिन में तीन बार झूठ बोलता है यानी साल भर में 1092 झूठ.

जबकि महिलाएँ साल भर में केवल 728 बार ही झूठ बोलती हैं यानी दिन में दो बार.

पुरुषों के टॉप-5 झूठ

मैने ज़्यादा नहीं पी

कुछ नहीं हुआ, मैं ठीक हूँ

सिग्नल नहीं था

ये ज़्यादा महंगी नहीं थी

टिकटॉक वाली कंपनी जल्दी बनाएगी स्मार्टफोन

टिकटॉक वाली कंपनी जल्दी बनाएगी स्मार्टफोन

वीडियो शेयरिंग एप टिकटॉक की बेहतरीन कामयाबी के बाद इसे बनाने वाली कंपनी अब स्मार्टफोन के बाज़ार में उतरने वाली है.

मौजूदा वक़्त में टिकटॉक सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली सोशल मीडिया एप है, जिसके लगभग 50 करोड़ यूज़र्स हैं.

टिकटॉक पर 15 सेकंड का वीडियो पोस्ट किया जाता है. इस एप को प्लेस्टोर से 100 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है.

टिकटॉक के डेवेलपर बाइटडांस अब स्मार्टफोन की दुनिया में प्रवेश करने पर विचार कर रहे हैं.

भारत का अभियान : चंद्रयान-2 चला चाँद की ओर

भारत का अभियान : चंद्रयान-2 चला चाँद की ओर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दूसरा मून मिशन Chandrayaan-2 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया गया. अब चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई है. करीब 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से करीब 182 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा.

सारांश

अंतिम समय में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग टालने के पीछे ये है कारण

अंतिम समय में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग टालने के पीछे ये है कारण

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के दूसरे मून मिशन Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग, लॉन्च से 56.24 मिनट पहले रोक दी गई. चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को तड़के 2.51 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया जाना था लेकिन 56.24 मिनट पहले काउंटडाउन रोक दिया गया. तत्काल इसरो वैज्ञानिक ये पता करने की कोशिश में जुट गए कि लॉन्च से ठीक पहले ये तकनीकी कमी कहां से आई. इसरो प्रवक्ता बीआर गुरुप्रसाद ने इसरो की तरफ से बयान देते हुए कहा कि जीएसएलवी-एमके3 लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) में खामी आने की वजह से लॉन्चिंग रोक दी गई है. लॉन्चिंग की अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी.

'कैंडल लाइट डिनर' से बचें !

किसी शांत जगह में अपनी महिला मित्र के साथ 'कैंडल लाइट डिनर' यानि मोमबत्ती की दूधिया रोशनी में शानदार भोजन भला किसे पसंद नहीं होगा. लेकिन शोधकर्ताओं ने आगाह किया है कि ऐसे रूमानी भोज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं!

साउथ कैरोलाइना स्टेट युनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने मोमबत्तियों से निकलने वाले धुएं का परीक्षण किया है.

उन्होंने पाया कि पैराफ़ीन की मोमबत्तियों से निकलने वाले हानिकारक धुएं का संबंध फेंफड़े के कैंसर और दमे जैसी बीमारियों से है.

हालांकि शोधकर्ताओं ने ये भी माना कि मोमबत्ती से निकलने वाले धुएं का स्वास्थ्य पर हानिकारक असर पड़ने में कई वर्ष लग सकते हैं.

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