Anand's blog

अल्ज़ाइमर की नई दवा को कंपनी ने क्यों छिपाए रखा?

अल्ज़ाइमर की नई दवा को कंपनी ने क्यों छिपाए रखा?

जब पिछले साल जनवरी में जब दवाइयां बनाने वाली अमरीकी कंपनी फाइज़र ने अल्ज़ाइमर और पर्किंसन जैसी बीमारियों के लिए नई दवा न बनाने का ऐलान किया तो मरीज़ों और शोधकर्ताओं के बीच एक निराशा छा गई थी.

इससे पहले यह कंपनी अल्ज़ाइमर के लिए वैकल्पिक दवा तलाशने में लाखों डॉलर ख़र्च कर चुकी थी. लेकिन फिर उन्होंने तय किया कि ये पैसा कहीं और दूसरे काम में ख़र्च किया जाएगा.

फाइज़र ने इसे सही ठहराते हुए कहा था कि हमें इस ख़र्च को वहां लगाना चाहिए जहां हमारे वैज्ञानिकों की पकड़ ज़्यादा मज़बूत है.

'महिलाओं के लिए वायग्रा' को मंज़ूरी

'महिलाओं के लिए वायग्रा' को मंज़ूरी

अमरीकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने महिलाओं की कामेच्छा को बढ़ाने की एक दवा को मंज़ूरी दे दी है. इसे 'फीमेल वायग्रा' माना जा रहा है.

फ़्लिबैनसेरिन नाम की इस दवा को स्प्राउट फॉर्मेस्यूटिकल्स ने बनाया है.

हाल ही में इस दवा को एफडीए की परामर्श समिति ने पास कर दिया है.

मासिक धर्म निवृत्ति से पहले महिलाओं की कामेच्छा को फिर से हासिल करने के लिए मस्तिष्क के कुछ निश्चित रसायनों को बढ़ाने के मकसद से इस दवा को बनाया गया है.

सेहत पर अन्य मामूली असर डालने के लिए इस दवा की आलोचना होती रही है.

World Blood Donor Day: रक्तदान और उससे जुड़े मिथकों का सच

World Blood Donor Day: रक्तदान और उससे जुड़े मिथकों का सच

विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने तो ज़्यादातर सेहतमंद लोग रक्तदान करते हैं.

दुनिया में हर जगह लोग रक्तदान करते हैं. रक्तदान करने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाई जाती है और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

वैसे तो रक्त दान के लिए कई नियमों का पालन किया जाता है. लेकिन लोगों के बीच इससे जुड़े कई मिथक और आधे-अधूरे सच भी जिन्हें वो मानते आ रहें हैं.

शाकाहारी लोग रक्तदान नहीं कर सकते

वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में मानव शुक्राणु बनाने का दावा किया है.

वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में मानव शुक्राणु बनाने का दावा किया है.

ब्रिटेन में न्यूकासल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में मानव शुक्राणु बनाने का दावा किया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि दुनिया में पहली बार हुए इस प्रयोग की सफलता से पुरुषों में बंध्यता या बाप नहीं बन पाने की समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है.न्यूकासल विश्वविद्यालय और नॉर्थईस्ट स्टेम सेल इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में स्पर्म या शुक्राणु विकसित करने के अपने सफल प्रयोग की रिपोर्ट विज्ञान पत्रिका 'स्टेम सेल एंड डेवलपमेंट' में प्रकाशित की है.

भारत में मिली नई प्रजाति की छिपकली

भारत में मिली नई प्रजाति की छिपकली

वैज्ञानिकों ने भारत में महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट के हरे-भरे पहाड़ों में एक नई प्रजाति की छिपकली की खोज की है.

छिपकली की प्रजाति के इस सरिसृप की खोज कोल्हापुर ज़िले के एक जीव-वर्गीकरण विशेषज्ञ वरद गिरी ने की है. इस प्रजाति का नाम सीनेमैसपिस कोल्हापुरेन्सिस रखा गया है.

वरद गिरी और उनके सहयोगियों ने अपनी खोज के बारे में इस माह के ज़ूटाक्सा जर्नल में प्रकाशित किया है.

हाल के दिनों में इस इलाक़े में खोजी गई छिपकली की यह तीसरी प्रजाति है.

भारत में मिला घोंसले बनाने वाला मेंढक

भारत में मिला घोंसले बनाने वाला मेंढक

भारत के एक वैज्ञानिक ने मेंढकों की तीन ऐसी दुर्लभ प्रजातियाँ ढूँढने का दावा किया है जो अपने अंडे देने के लिए घोंसले बनाते हैं.

मेंढक की ये प्रजातियां केरल और कर्नाटक की पश्चिमी पहाड़ी श्रंखलाओं के जंगलों में पाई जाती है जहाँ ख़ूब बारिश होती है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉक्टर एसडी बीजू का कहना है कि ये छोटे-छोटे मेंढक 12 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं. ये मेंढक अंडे देने के बाद उन्हें गर्मी, शिकारी पक्षियों और कीड़ों से बचाने के लिए घोंसले बनाते हैं.

भारत में वैज्ञानिकों ने डायनासोर के सैकड़ों अंडों को ढूँढ निकाला है

भारत में वैज्ञानिकों ने डायनासोर के सैकड़ों अंडों को ढूँढ निकाला है

भारत में वैज्ञानिकों ने डायनासोर के सैकड़ों अंडों को ढूँढ निकाला है, ये अंडे साढ़े छह करोड़ साल पुराने हो सकते हैं.

ये अंडे संयोगवश वैज्ञानिकों के हाथ लगे, वे तमिलनाडु में एक नदी के किनारे प्राचीन धरोहरों की तलाश में खुदाई कर रहे थे.

खुदाई के दौरान उन्हें जीवाश्म बन चुके अंडों के ढेर मिले जिनके नमूने दुनिया भर के विशेषज्ञों को भेजे गए जिन्होंने पुष्टि की है कि ये डायनासोर के ही अंडे हैं.

अंडों का आकार फुटबॉल जितना बड़ा है, वैज्ञानिकों का मानना है कि मादा डायनासोर ने अंडे देने के बाद उन्हें रेत में दबा दिया होगा.

किस देश के लोग करते हैं दफ्तर में सबसे ज़्यादा काम?

किस देश के लोग करते हैं दफ्तर में सबसे ज़्यादा काम?

अक्सर आप लोगों को शिकायत करते सुनते हैं, कि

'काम बहुत ज़्यादा है'.

'दफ़्तर में देर तक रुकना पड़ता है'.

'यार, मेरे ऑफ़िस जाने का टाइम तो फ़िक्स है, मगर लौटने का नहीं'.

इन बातों से ये लगता है कि ऑफ़िस का टाइम अंतहीन सिलसिला है. काम इतना कि ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेता.

भारत में ये मुश्किल इसलिए है, क्योंकि यहां काम के अधिकतम घंटे कितने होंगे, इसकी कोई आधिकारिक पाबंदी नहीं है. अलग-अलग कंपनियों में अलग-अलग नियम है. कहीं हफ़्ते में 60 घंटे काम होता है, तो कहीं 40-45 घंटे.

अंतरिक्ष में सबसे ज़्यादा कचरा किसने फैलाया

अंतरिक्ष में सबसे ज़्यादा कचरा किसने फैलाया

नासा (द नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) ने भारत की एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण से निकले मलबे से इंटरनेशनल स्पेस सेंटर (आईएसएस) को पैदा हुए ख़तरे को भयानक बताया है.

नासा प्रमुख जिम ब्राइडेन्स्टाइन ने कहा कि भारत ने जिस उपग्रह को निशाने पर लिया वो कई टुकड़ों में टूट गया.

उनका कहना है कि इनकी संख्या 400 से भी अधिक है और इससे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर ख़तरा पैदा हो गया है.

नासा टाउनहॉल में ब्राइडेन्स्टाइन ने बताया कि इससे पैदा हुए ज़्यादातर टुकड़े बड़े हैं. उन्होंने कहा कि नासा ने छोटे टुकड़ों को ट्रैक किया है और बड़े टुकड़ों को खोज की जा रही है.

अगर हम सब दिमाग़ बढ़ाने वाली गोली लेने लगें तो क्या होगा?

अगर हम सब दिमाग़ बढ़ाने वाली गोली लेने लगें तो क्या होगा?

फ़्रांस के मशहूर उपन्यासकार होनोरे डि बाल्ज़ाक मानते थे कि कॉफ़ी दिमाग़ को खोल देता है.

बाल्ज़ाक हर शाम पेरिस की गलियों को छानते हुए उस कैफे तक पहुंचते थे जो आधी रात के बाद तक खुला रहता था. कॉफ़ी पीते हुए वे सुबह तक लिखते रहते थे.

कहा जाता है कि बाल्ज़ाक एक दिन में 50 कप कॉफ़ी पी जाते थे.

भूख लगने पर बाल्ज़ाक चम्मच भर कॉफ़ी के दानों को चबा लेते थे. उन्हें लगता था कि ऐसा करने से उनके दिमाग़ में विचार ऐसे कौंधते हैं जैसे जंग के खाली मैदान में सेना की बटालियन मार्च करते हुए चली आ रही हो.

डायबिटीज़ में भारत अव्वल नंबर

डायबिटीज़ में भारत अव्वल नंबर

हर दस सेकेंड में दुनिया भर में किसी न किसी की डायबिटीज़ यानी मधुमेह से मृत्यु हो जाती है. उन्हीं दस सेकेंड में किन्हीं दो लोगों में इसके लक्षण पैदा हो जाते हैं.

पिछले साल दुनिया में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 38 लाख थी. यानी मरने वाले सभी लोगों का छह प्रतिशत. एक अनुमान के अनुसार इस समय दुनिया भर में 24 करोड़ 60 लाख लोग डायबिटीज़ से पीड़ित हैं और 2025 तक इस संख्या के 38 करोड़ हो जाने की आशंका है.

पीरियड्स में महिलाओं का दिमाग तेज़ हो जाता है?

पीरियड्स में महिलाओं का दिमाग तेज़ हो जाता है?

औरतों में माहवारी एक बुनियादी अमल है. यही क़ुदरती अमल उसे समाज में औरत का दर्जा दिलाता है. कहना ग़लत नहीं होगा कि इंसानी कायनात का दारोमदार इसी पर टिका है.

माहवारी से पहले और उसके दौरान महिला की अपने शरीर और ख़ुद से लड़ाई चलती रहती है. उसके मिज़ाज में बहुत से बदलाव नज़र आने लगते हैं. प्राचीन काल में इसे औरत को पड़ने वाले दौरे के तौर पर देखा जाता था.

यहां तक कि मिस्र से लेकर ग्रीस के दार्शनिकों का मानना था कि हर महीने औरत के मन में सेक्सुअल डिज़ायर का उफ़ान उठता है. जब ये डिज़ायर पूरी नहीं होती तो उसके शरीर से ख़ून का रिसाव शुरू हो जाता है.

बॉस की हां में हां मिलाना कितना फ़ायदेमंद

बॉस की हां में हां मिलाना कितना फ़ायदेमंद

हम सब किसी भी तरह के वाद-विवाद से दूर रहना चाहते हैं. जब हम किसी से असहमत होते हैं तब भी हम दोस्ती बनाए रखना चाहते हैं. हम अपने शब्दों और बॉडी लैंग्वेज से ऐसे संकेत देते हैं कि हम मिलकर रहना चाहते हैं.

लॉबोरो यूनिवर्सिटी में कन्वर्जेशन एनालिसिस की प्रोफ़ेसर एलिजाबेथ स्टॉकी कहती हैं, "हम दूसरों को मौके भी देते हैं. अपनी बातचीत को नियंत्रित रखते हैं और लोगों को अपनी बात मनवाने की कोशिश करते हैं."

ऑफ़िस में तो हम कतई नहीं चाहते कि कोई विवाद हो या किसी से मनमुटाव हो. जिनकी बगल में रोजाना 8 घंटे बैठना हो उनसे भला कौन झगड़ना चाहता है?

व्यायाम से बढ़ता है दिमाग़

व्यायाम से बढ़ता है दिमाग़

कैब्रिज़ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के ताज़ा शोध में पता चला है कि नियमित व्यायाम से मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है.

शोध के नतीज़े नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंस की पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं. इसके मुताबिक़ चूहों पर किए गए स्मृति परीक्षण में व्यायाम का काफ़ी असर पड़ा.

जिन चूहों ने व्यायाम किया उनके मस्तिष्क के एक ख़ास हिस्से में नई कोशिकाएँ विकसित हुईं जबकि व्यायाम न करने वाले चूहों में ऐसा नहीं हुआ.

नई कोशिकाएँ

अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि चीज़ों को पहचानने की क्षमता में आए सुधार के पीछे इन नई कोशिकाओं का ही हाथ है.

तेज़ टाइपिंग करने वाले लोगों में ऐसा क्या जादू होता है

तेज़ टाइपिंग करने वाले लोगों में ऐसा क्या जादू होता है

जिन लोगों की टाइपिंग की रफ़्तार धीमी होती है, उन्हें की-बोर्ड पर दूसरों की थिरकती उंगलियां देखकर रश्क हो जाता है.

धीमी टाइपिंग करने वाले सोचते हैं कि काश! हमारी भी टाइपिंग स्पीड ऐसी ही होती. लेकिन क्या होता है तेज़ टाइपिंग सीखने का नुस्खा?

माना जाता है कि ऑनलाइन गेमिंग के शौक़ीनों की टाइपिंग की रफ़्तार सबसे ज़्यादा होती है.

फिनलैंड की ऑल्टो और ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने दुनिया भर में क़रीब 1 लाख 68 हज़ार लोगों की टाइपिंग के तरीक़े पर बारीक़ी से ग़ौर किया.

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