Anand's blog

बोल कर टाइप किया है कभी?

बोल कर टाइप किया है कभी?

अपने स्मार्टफोन पर अगर आपको टाइपिंग करने में अधिक समय लगता है तो आपके पास दो विकल्प हैं. आप चाहें तो अपनी आवाज़ रिकॉर्ड करके उसको लिखित शब्दों में बदल लें या फिर हैंडराइटिंग टूल का इस्तेमाल करें.

बोले हुए शब्दों की मदद से टाइपिंग आसान नहीं है, ख़ास तौर पर हिंदी में. अंग्रेजी में भी बोले हुए शब्दों के उच्चारण को समझने में आपका फ़ोन गड़बड़ियाँ करता है.

अगर गूगल वॉइस आपके काम नहीं आता है तो अपनी हैंडराइटिंग से टाइपिंग कर सकते हैं.

तेज़ी से पिघल रहा है ग्लेशियर

तेज़ी से पिघल रहा है ग्लेशियर

बीबीसी को ऐसे शोध के बारे में पता चला है जिसके अनुसार अंटार्कटिका के सबसे बड़े ग्लेशियरों में से एक अत्यधिक तेज़ी से पिघल रहा है.

शोध के अनुसार 10 वर्ष पहले यह ग्लेशियर जिस जिस रफ़्तार से पिघल रहा था, उसके मुक़ाबले अब यह चार गुना तेज़ी से पिघल रहा है.

उपग्रह की मदद से लिए गए आंकड़ों के मुताबिक़ पश्चिमी अंटार्कटिका स्थित पाइन आइलैंड ग्लेशियर हर साल 16 मीटर धंस रहा है.

वर्ष 1994 से अब तक ग्लेशियर की सतह 90 मीटर तक नीचे जा चुकी है. इसके कारण समुद्री जल स्तर को लेकर गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

जीन ढूँढा तिन पाइयाँ

जीन ढूँढा तिन पाइयाँ

भारत के ज्यादातर लोगों में दो प्राचीन जेनेटिक समूहों का मिश्रण पाया गया है, ये दो जेनेटिक समूह एक दूसरे से काफ़ी भिन्न हैं.

भारत में किए गए अब तक सबसे बड़े जेनेटिक सर्वेक्षण के बाद विज्ञान पत्रिका 'नेचर' में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है जिसमें कहा गया है कि भारत की कठोर सामाजिक संरचना के बावजूद दो अलग-अलग जेनेटिक समूह आपस में घुलमिल गए हैं.

भारतीय दुनिया की आबादी का लगभग 17 प्रतिशत हिस्सा हैं लेकिन जेनेटिक अध्ययन के मामले में भारतीय समुदाय पर इससे पहले ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है.

सूर्य से चलने वाली प्राचीन घड़ियां

सूर्य से चलने वाली प्राचीन घड़ियां

ब्रिटेन के इंचकोम आईलैंड के पास विशेष घड़ियां मिली हैं जो सूर्य की रोशनी के अनुसार चलती थीं.

इन घड़ियों को सनडायल कहा जाता है.

इन घड़ियों का इस्तेमाल ऑगस्टिनियन भिक्षु समय देखने के लिए करते थे और ये घड़ियां दीवारों पर ही खुदी होती थीं.

मध्य काल में ये भिक्षु संभवत: इन्हीं घड़ियों के आधार पर अपने सारे काम नियत समय पर करते थे.

इतिहासकारों का मानना है कि मध्यकालीन भिक्षु अपने सारे कामों में समय को बहुत महत्व देते थे. अब ये पता चल रहा है कि भिक्षु समय का पता कैसे लगाते थे.

ब्रिटिश सनडायल सोसाइटी का कहना है कि स्कॉटलैंड में ऐसे कम ही डायल मिले हैं.

'अलग-अलग सोएं खुश रहें'

'अलग-अलग सोएं खुश रहें'

अगर आपको अपने स्वास्थ्य और दांपत्य संबंधों को बेहतर रखना है तो अलग अलग सोने पर विचार करें.

विशेषज्ञों का कहना है कि एक ही बिस्तर पर सोने से पति पत्नी के बीच कई मामलों मसलन खर्राटे लेने और रज़ाई-तकिए को लेकर विवाद हो सकते हैं और इससे नींद खराब हो सकती है.

ब्रिटेन में नींद के मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर नील डॉक्टर स्टैनली बताते हैं कि एक ही बिस्तर पर सोने से दंपत्तियों को कई प्रकार की मुश्किलें हो सकती हैं.

एक अध्ययन से पता चला कि एक पलंग पर साथ सोने वाले दम्पत्तियों को औसतन नींद से जुड़ी 50 प्रतिशत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा.

पत्रिका में वीडियो विज्ञापन

पत्रिका में वीडियो विज्ञापन

अमरीका में पाठकों को जल्दी ही वह मिलने जा रहा है जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी - एक पत्रिका में वीडियो विज्ञापन.

Image captionएंटरटेनमेंट वीकली के इस विज्ञापन में सीबीएस टेलीविज़न का 40 मिनट का कार्यक्रम दिखाया जाएगा

यह मार्केटिंग की एक ऐसी तकनीक है, जिसे देखकर लगेगा कि यह हैरी पॉटर की दुनिया की कोई चीज़ है जो जीवंत हो उठी है.

हालांकि यह उस घड़ी की तरह नहीं होगी जिसे हैरी पॉटर पहना घूमता है.

दिमाग को पढ़ लेगा कंप्यूटर

दिमाग को पढ़ लेगा कंप्यूटर

ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक समूह का कहना है कि उसने एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम विकसित कर लिया है जो मानव की स्मृति को पढ़ सकता है.

शोधकर्ताओं के अनुसार मस्तिष्क की गतिविधियों पर नज़र रखकर किसी भी शख़्स की स्मृति यानी याददाश्त को समझा जा सकता है.

वैज्ञानिकों ने अपने शोध को 'ईपीसोडिट मेमोरी' का नाम दिया है, इसका अर्थ होता है, व्यक्तिगत अनुभवों की स्मृति, जिसमें लोग क्या करते आए हैं और उसे कैसा मसहूस किया, इसकी जानकारी होती है.

स्मरणशक्ति
इस शोध का उद्देश्य उन मरीज़ों की मदद करना है जिन्हें स्मरणशक्ति से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

शराब का खुमार महिलाओं पर ज़्यादा क्यों चढ़ता है

शराब का खुमार महिलाओं पर ज़्यादा क्यों चढ़ता है

दुनिया भर में ये माना जाता पुरुष महिलाओं की तुलना में ज़्यादा शराब पीते हैं. मोटेतौर पर महिलाओं की तुलना में पुरुष दोगुनी शराब पीते हैं.

लेकिन अब ये बीते दिनों की बात होती जा रही है, क्योंकि 1991 से 2000 के बीच में जन्मी महिलाएं उतनी ही शराब पी रही हैं जितना उनके पुरुष साथी, इतना ही नहीं पीने की रफ़्तार में ये पीढ़ी पुरुषों को पीछे छोड़ रही है.

अब आसान नहीं झूठ बोलना !

अब आसान नहीं झूठ बोलना !

झूठ बोलने वालों के लिए एक बुरी ख़बर है. ब्रितानी वैज्ञानिकों ने झूठ पकड़ने वाली एक नई तकनीक का विकास किया है.

इस तकनीक में झूठ पकड़ने के लिए बात करने के दौरान चेहरे पर आए बदलाव को पढ़ने की कोशिश की जाती है.

ब्रैडफ़र्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किसी व्यक्ति के झूठ बोलने पर उसके चेहरे पर ख़ून के प्रवाह और हाव-भाव में आए बदलाव पर नज़र रखी.

चेहरा सब बोलता है
बीबीसी के विज्ञान संवाददाता मैट मैकग्रा के मुताबिक वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस तकनीक का इस्तेमाल पुलिस और अप्रावासन अधिकारी उस व्यक्ति को बिना बताए कर सकते हैं, जिससे पूछताछ हो रही हो.

जीवाणु 1,20,000 साल बाद दोबारा सक्रिय

जीवाणु 1,20,000 साल बाद दोबारा सक्रिय

वैज्ञानिकों को ऐसे बैक्टीरिया या जीवाणुओं को सक्रिय करने में सफलता मिली है जो कि कम-से-कम 1,20,000 वर्षों से निष्क्रिय पड़े थे.

Image captionजीवाणु एक लाख साल से निष्क्रिय थे

पूरा किस्सा ये है कि ग्रीनलैंड में ड्रिलिंग के दौरान क़रीब तीन किलोमीटर की गहराई से निकाले गए हिमखंड में दो अलग-अलग प्रजातियों के जीवाणु मिले थे.

हिमखंड के काल के हिसाब से दोनों जीवाणुओं को भी कम-से-कम एक लाख 20 हज़ार वर्ष पुराना माना गया.

सामान्य जीवाणुओं से क़रीब 50 गुना छोटे आकार के इन दोनों जीवाणुओं को बहुत ही धीरे-धीरे सामान्य माहौल में लाया गया. इस प्रक्रिया में महीनों लगे.

ब्रिटेन में होम्योपैथी का विरोध

ब्रिटेन में होम्योपैथी का विरोध

ब्रिटेन के सांसदों ने कहा है कि सरकार को होम्योपैथिक इलाज के लिए सहायता देना बंद करना चाहिए क्योंकि इस चिकित्सा पद्धति का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

होम्योपैथी को सरकारी सहायता देना बंद करने की ये सिफ़ारिश ब्रिटिश संसद की विज्ञान और तकनीकी समिति की रिपोर्ट में की गई है. समिति के सदस्य अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि होम्योपैथिक दवाएँ ऐसे पदार्थों की तरह हैं जो ऐसे मरीज़ों को दिए जाते हैं जिन्हें दवा की ज़रूरत नहीं होती लेकिन जिन्हें लगता है कि उन्हें दवा चाहिए.

लुप्त हो सकती हैं शार्क की कई प्रजातियाँ

लुप्त हो सकती हैं शार्क की कई प्रजातियाँ

शार्क की कई प्रजातियों पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. ये आकलन पर्यवारण संरक्षण के लिए बने अंतरराष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) ने किया है.

इस सूची में 64 प्रकार की शार्क का विवरण है जिनमें से 30 फ़ीसदी पर लुप्त होने का खतरा है.

आईयूसीएन के शार्क स्पेशलिस्ट ग्रुप से जुड़े लोगों का कहना है कि इसका मुख्य कारण ज़रूरत से ज़्यादा शार्क और मछली पकड़ना है.

हैमरहेड शार्क की दो प्रजातियों को लुप्त होने वाली श्रेणी में रखा गया है. इन प्रजातियों में अक्सर फ़िन या मीनपक्ष को हटाकर शार्क के शरीर से हटा कर फेंक दिया जाता है. इसे फ़िनिंग कहते हैं.

सबसे कारगर दवा पर भी भारी मच्छर

सबसे कारगर दवा पर भी भारी मच्छर

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों का कहना है कि मलेरिया के इलाज के लिए दुनिया की सबसे कारगर दवा के प्रति प्रतिरोधकता के संकेत मिले हैं.

ब्रिटेन में पलकों का प्रत्यारोपण

ब्रिटेन में पलकों का प्रत्यारोपण

ब्रिटेन के शहर ग्रेटर मैनचेस्टर में एक महिला की आँखों की पलकों का सफल प्रत्यारोपण किया गया है. सर्जरी करने वाली टीम का दावा है कि ब्रिटेन में अपनी तरह का यह पहला प्रत्यारोपण है.

19 वर्षीया लुईस थॉमस को ऐसा इसलिए कराना पड़ा क्योंकि पलकों के बाल अधिक खींचने से उन्हें ट्राइकोटीलोमैनिया नामक बीमारी हो गई थी.

प्रत्यारोपण के दौरान लुईस के सर के बाल को उनकी आँखों की ऊपरी और निचली पलकों पर लगाया गया.

डॉक्टरों का कहना है कि प्रत्यारोपण के चार से छह महीने के बीच पलकों के बाल घने होना शुरू हो जाएँगे.

आकार में है सफलता की कुंजी

आकार में है सफलता की कुंजी

अगर वीडियो गेम खेलते समय आपको अच्छी ख़ासी मशक्कत करनी पड़ती है, तो इसका संबंध आपके मस्तिष्क के कुछ हिस्सों के आकार से हो सकता है.

ये कहना है एक शोध का. अमरीकी शोधकर्ताओं का दावा है कि वे मस्तिष्क के कुछ अहम हिस्सों का आकार माप कर ये आकलन कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति वीडियो गेम खेलते समय कैसा प्रदर्शन कर सकता है.

सेरेब्रल कोरटेक्स पत्रिका में इन शोधकर्ताओं ने लिखा है कि उनकी खोज से सीखने की क्षमता में अंतर के अध्ययन पर व्यापक असर पड़ सकता है.वैसे प्रतिभा और मस्तिष्क के आकार के बीच संबंध की बात पर मोटे तौर पर सहमति है. इसके बावजूद यह एक जटिल मसला है.

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