भारत का अभियान : चंद्रयान-2 चला चाँद की ओर
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दूसरा मून मिशन Chandrayaan-2 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया गया. अब चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई है. करीब 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से करीब 182 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा.
सारांश
- इस मिशन में एक हफ़्ते की देरी GSLV-MkIII रॉकेट के इंजन में लीक होने के कारण हुई थी. यही रॉकेट चंद्रयान को अतरिक्ष में लेकर जाएगा.
- भारत का चाँद पर यह दूसरा मिशन है. भारत चाँद पर तब अपना मिशन भेज रहा है जब अपोलो 11 के चाँद मिशन की 50वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है.
- भारत का चंद्रयान-2 चाँद के अपरिचित दक्षिणी ध्रुव पर सितंबर के पहले हफ़्ते में लैंड करेगा.
- वैज्ञानिकों का कहना है कि चाँद का यह इलाक़ा काफ़ी जटिल है. वैज्ञानिकों के अनुसार यहां पानी और जीवाश्म मिल सकते हैं.
जी.एस.एल.वी. मार्कIII/ चंद्रयान-2 मिशन
भारत के दूसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान-2 में कक्षित्र, लैंडर (विक्रम) एवं रोवर (प्रज्ञान) नाम के तीन माड्यूल हैं। कक्षित्र एवं लैंडर माड्यूल यांत्रिक रूप से अंतरापृष्ठित किए जाएंगे और एक साथ समेकित माड्यूल के रूप में रखे जाएंगे तथा जी.एस.एल.वी. मार्क-III प्रमोचक राकेट में समायोजित किए जाएंगे। लैंडर के भीतर रोवर स्थित है। जी.एस.एल.वी. मार्क-III द्वारा पृथ्वी की कक्षा में प्रमोचित किए जाने के पश्चात, कक्षित्र नोदन माड्यूल का उपयोग करते हुए यह समेकित माड्यूल चंद्रमा की कक्षा में पहुँचेगा। तत्पश्चात, कक्षित्र से लैंडर पृथक हो जाएगा और चंद्र दक्षिण ध्रुव के समीप पूर्वनिर्धारित स्थान पर सहज अवतरित होगा। बाद में, रोवर चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक परीक्षण पूरे करने हेतु उतरेगा। लैंडर और कक्षित्र पर वैज्ञानिक परीक्षण करने हेतु उपकरण भी रखे गये हैं।
06 सितंबर, 2019 को चंद्र पर अवतरण की संभावना के साथ 09 जुलाई से 16 जुलाई, 2019 की अवधि के दौरान चंद्रयान-2 के प्रमोचन हेतु सभी माड्यूल तैयार किए जा रहे हैं।
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