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कार्बन डाईऑक्साइड ऊर्जा का स्रोत हो सकता है

कार्बन डाईऑक्साइड ऊर्जा का स्रोत हो सकता है

न्यूयॉर्क| वैज्ञानिकों ने एक ऐसे उत्प्रेरक की खोज की है, जो कार्बन डाईऑक्साइड को सिनगैस में बदलने की प्रणाली में सुधार ला सकता है। सिनगैस ऊर्जा का एक वैकल्पिक स्रोत है। अमेरिका के शिकागो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के वैज्ञानिकों ने रासायनिक प्रक्रिया के दौरान कार्बन डाईऑक्साइड के इलेक्ट्रॉन कम करने या हस्तांतरण करने के लिए दो चरणों में होने वाली एक उत्प्रेरक प्रक्रिया का विकास किया है, जिसमें मोलिब्डेनम डाईसल्फाइड और आयनिक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है।

भारतीय वैज्ञानिकों ने ढूंढी भूकंप की भविष्यवाणी की तकनीक

भारतीय वैज्ञानिकों ने ढूंढी भूकंप की भविष्यवाणी की तकनीक

भूकंप आखिर आता क्यों है? इस अनसुलझे रहस्य का पता लगाने के लिए देश के वैज्ञानिक अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च में लगे हुए
भूकंप आखिर आता क्यों है? इस अनसुलझे रहस्य का पता लगाने के लिए देश के वैज्ञानिक अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च में लगे हुए 

फायरफॉक्‍स का इंस्टेंट मैसेजिंग फीचर

फायरफॉक्‍स का इंस्टेंट मैसेजिंग फीचर

वेब ब्राऊजर निर्माता मोजिला ने डेस्‍कटॉप और एंड्रॉयड यूजर्स के लिए फायरफॉक्‍स 41 रिलीज किया है। यह पहला ब्राऊजर है, जिसमें इंस्टेंट मैसेजिंग का फीचर भी मिलेगा।

यह नया फीचर विंडोज, मैक और लिनक्‍स यूजर्स को मिलेगा। हैलो वीडियो कॉल के माध्‍यम से आप इसका इंस्‍टेंट मैसेंजर उपयोग कर सकते हैं।

फायरफॉक्‍स के नए अपडेट में ब्राऊजर पर प्रोफाइल सेट करने की सुविधा भी दी गई है। वहीं इसके एंड्रॉयड वर्जन में यूजर एक ही समय पर अलग-अलग सर्च इंजन का प्रयोग भी कर सकते हैं। इसमें पहले से बेहतर बुकमार्क डिटेक्शन दिया गया है ताकि डुप्लीकेट बुकमार्क से बचा जा सके।

हथेली बन जाएगी कीबोर्ड : गूगल

हथेली बन जाएगी कीबोर्ड : गूगल

गूगल ने गूगल ग्लास जैसा एक हैंडसेट बनाया है, जो इंटरेक्टिव वर्चुअल कीबोर्ड को सीधे ही उपयोगकर्ता की हथेली पर उतार देता है।

ब्रिटिश अखबार डेलीमेल की एक खबर के अनुसार, हैंडसेट में मौजूद एक कैमरा अंगुलियों की मूवमेंट को ट्रैक करेगा, जिससे वेबसाइट या ऐप में जानकारी को फीड करने से पहले यह पता चलता है कि कौन-सी बटन्‍स को दबाया गया है।

गूगल ने इस पेटेंट को जून 2012 में फाइल किया गया था और हाल ही में यह कंपनी को मिला है। वर्चुअल इनपुट डिवाइस के लिए इसमें एक छोटा प्रोजेक्टर और एक कैमरा भी लगाया गया है।

प्रकाश से भी तेज़ गति से होगी बात?

प्रकाश से भी तेज़ गति से होगी बात?

प्रकाश की गति इतनी ज्यादा होती है कि यह लंदन से न्यूयार्क की दूरी को एक सेकेंड में 50 से ज़्यादा बार तय कर लेगी.

लेकिन मंगल और पृथ्वी के बीच (22.5 करोड़ किलोमीटर की दूरी) यदि दो लोग प्रकाश गति से भी बात करें, तो एक को दूसरे तक अपनी बात पहुंचाने में 12.5 मिनट लगेंगे.

वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट हमारी सौर व्यवस्था के सबसे बाहरी हिस्से यानी पृथ्वी से करीब 19.5 अरब किलोमीटर दूर है. हमें पृथ्वी से वहाँ संदेश पहुँचाने में 18 घंटे का वक्त लगता है.

भारतीय भाषा कहेगा माइक्रोसॉफ्ट कोर्टाना

भारतीय भाषा कहेगा माइक्रोसॉफ्ट कोर्टाना

माइक्रोसॉफ्ट कोर्टाना का भारतीय वर्जन लॉन्‍च करने जा रहा है। कंट्री स्‍पेसिफिक वर्जन अब तक जापान, कनाडा और ऑस्‍ट्रेलिया के लिए ही बनाए गए थे। भारत के बाद कोर्टाना को ब्राजील तथा मेक्सिको में भी लॉन्‍च किया जाएगा।

पिछले वर्ष ही माइक्रोसॉफ्ट ने कोर्टाना को अपना फ्लैगशिप फीचर घोषित कर दिया था। इस फीचर का सीधा मुकाबला, ऐपल के सीरि, और गूगल के गूगल नाउ असिस्‍टेंट से है। स्‍मार्टफोन यूजर्स के बीच वर्चुअल वॉयस असिस्‍टेंट फीचर काफी पसंद किया जा रहा है।

कैमरा युक्त टूथब्रश से जाने मुंह का हाल

कैमरा युक्त टूथब्रश से जाने मुंह का हाल

यह टूथब्रश स्मार्टफोन को वीडियो भेजने के लिए वाई-फाई व ब्लूटुथ तकनीक का उपयोग करता है, ताकि उपयोगकर्ता मुंह की अंदर की साफ-सफाई का पता लगा सके।

जरूरत की हर चीज जैसे पैन, कंघी, बैग, हेयरबैंड आदि में लघु वीडियो कैमरे जोड़ने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। सीटल की कंपनी ने अब एक ऐसा टूथब्रश लांच किया है, जिसमें एक अतिसूक्ष्म वीडियो कैमरा है, जो ब्रश करने के दौरान मुंह के अंदर देखने की सुविधा देता है।

हिंदी भाषा के लिए गूगल बनाएगा सर्च आसान

हिंदी भाषा के लिए गूगल बनाएगा सर्च आसान

वर्तमान में गूगल पर हिंदी भाषा में कुछ खोजना टेढ़ी खीर है, लेकिन जल्द ही यह काम बेहद आसान हो जाएगा। आप इस सर्च इंजन पर जाकर हिंदी में कुछ भी खोज सकते हैं। दरअसल दिग्गज तकनीकी कंपनी गूगल गैर महानगरीय इलाकों (टियर टू और टियर थ्री स्तर के शहर) के यूजर्स (उपभोक्ताओं) की आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए अपनी 'मैप्स' और 'सर्च' जैसी सेवाओं को क्षेत्रीय, विशेषकर हिंदी में बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

कोरोना वायरस: डायबिटीज़ वालों को कितना ख़तरा

कोरोना वायरस: डायबिटीज़ वालों को कितना ख़तरा

कोरोना वायरस किसी को भी संक्रमित कर सकता है लेकिन उन लोगों को इससे ज़्यादा ख़तरा है जिन्हें पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है या जो उम्रदराज हैं.

द लांसेट जर्नल के एक अध्ययन के मुताबिक जो लोग उम्रदराज हैं या जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ जैसी बीमारियां हैं उनकी कोरोना वायरस से जान जाने का ज़्यादा ख़तरा है.

ये अध्ययन चीन में वुहान के दो अस्पतालों के 191 मरीज़ों पर किया गया था. इसमें शोधकर्ताओं ने उन लोगों पर अध्ययन किया जो या तो मर चुके थे या अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके थे.

कम्‍प्‍यूटर से नहीं सुधरती है : स्‍कूली बच्‍चों की पढ़ाई

कम्‍प्‍यूटर से नहीं सुधरती है : स्‍कूली बच्‍चों की पढ़ाई

एक सर्वे में पता चला है कि कम्‍प्‍यूटर से पढ़ाई करने वाले छात्रों का प्रदर्शन अन्‍य छात्रों से अधिक या अलग नहीं होता है। ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एवं डवलपमेंट (ओईसीडी) नाम की एक संस्‍था ने भारतीय स्‍कूलों में सर्वे करने के बाद यह रिपोर्ट जारी की है।

भारत के अधिकांश स्‍कूलों में बच्‍चों को कम्‍प्‍यूटर की सुविधा प्राप्‍त है। इन स्‍कूलों के छात्रों के परीक्षा परिणाम की तुलना उन स्‍कूल के बच्‍चों से की गई, जिनके पास कम्‍प्‍यूटर नहीं है। इससे प्राप्‍त परिणाम में कोई फर्क सामने नहीं आया।

कोरोना वैक्सीन आने के बाद क्या सब कुछ सामान्य हो जाएगा?

कोरोना वैक्सीन आने के बाद क्या सब कुछ सामान्य हो जाएगा?

अगर आपको लगता है कि कोरोना की वैक्सीन आने के बाद सब कुछ एकदम से सामान्य हो जाएगा, तो शायद आपका सोचना ग़लत हो सकता है. प्रमुख वैज्ञानिकों ने इसे लेकर चेतावनी दी है. वैक्सीन को एक ऐसे उपाय के रूप में देखा जा रहा है, जिसके आते ही महामारी समाप्त हो जाएगी. लेकिन रॉयल सोसायटी के शोधकर्ताओं ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि टीके से क्या होगा और क्या हो सकता है, इसे लेकर हमें तार्किक और व्यावहारिक होने की ज़रूरत है. वैज्ञानिकों का कहना है कि टीका जब भी आए, उसे लोगों तक ले जाने में कम से कम एक साल तक का समय लग सकता है.

कपड़े बन जाएंगे कैमरा

कपड़े बन जाएंगे कैमरा

सभी नक़्शों में उत्तर दिशा को ऊपर दिखाया जाता है. क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है? जबकि धरती तो गोल है.

अगर इसको आसमान से देखें तो क्या आपको ऊपर से उत्तर सबसे ऊपर नज़र आएगा? आपका जवाब शायद हां में हो.

क्योंकि बचपन से आप नक़्शे में उत्तर दिशा को ऊपर जो देखते आ रहे हैं. मगर, आपका ख़्याल ग़लत है.

वैसे उत्तर दिशा को सबसे ऊपर समझने का ग़लत ख़्याल सिर्फ़ आपका नहीं, पूरी दुनिया ही ऐसा समझती, मानती है.

मगर, सच तो ये है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. वैज्ञानिक आधार पर कोई ये नहीं कह सकता कि उत्तर दिशा सबसे ऊपर होती है.

कपड़े बन जाएंगे कैमरा

कपड़े बन जाएंगे कैमरा

अमरीका में शोधकर्ता ऐसे धागों पर काम कर रहे हैं जो उन पर पड़ने वाली रोशनी को पहचान सकते हैं और इसमें सेंसर लगा देने पर तस्वीरें भी खींच सकते हैं.

शोधकर्ताओं ने इन धागों के बीच सेंसर डालने और उन्हें बिजली के सिग्नलों से जोड़ने का तरीका खोज निकाला है. जब रोशनी इन धागों पर पड़ती है तो ये धागे सिग्नल भेजते हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस दिशा में और अधिक काम करने पर ये धागे कैमरों का काम कर सकते हैं और तस्वीरें भी खींच सकते हैं.

कोरोना वैक्सीन: वो सारी बातें जो आपको जाननी चाहिए

कोरोना वैक्सीन: वो सारी बातें जो आपको जाननी चाहिए

कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए दुनिया के कई देशों में टीकाकरण अभियान शुरू हो चुके हैं.

इससे जुड़ी सूचनाएं और सुझाव कई बार आपको पेचीदा लग सकते हैं, लेकिन कुछ बुनियादी तथ्य हैं जो आपकी यह समझने में मदद करेंगे कि एक वैक्सीन आख़िर काम कैसे करती हैं.

वैक्सीन क्या है?
एक वैक्सीन आपके शरीर को किसी बीमारी, वायरस या संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है.

वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमज़ोर या निष्क्रिय अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं. 

वायरस न होता तो इंसान बच्चे को जन्म देने के बजाय अंडा देता

वायरस न होता तो इंसान बच्चे को जन्म देने के बजाय अंडा देता

इस समय पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी की गिरफ़्त में है. इसके लिए एक वायरस ज़िम्मेदार है, जिसे नया कोरोना वायरस या SARS CoV-2 नाम दिया गया है.

इंसानियत पर कहर बरपाने वाला ये पहला वायरस नहीं है. विषाणुओं ने कई बार मानवता को भयंकर चोट पहुंचाई है. 1918 में दुनिया पर कहर ढाने वाले इन्फ्लुएंज़ा वायरस से पांच से दस करोड़ लोग मारे गए थे. वहीं अकेले बीसवीं सदी में चेचक के वायरस ने कम से कम बीस करोड़ लोगों की जान ले ली होगी.

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