कम्प्यूटर से नहीं सुधरती है : स्कूली बच्चों की पढ़ाई
एक सर्वे में पता चला है कि कम्प्यूटर से पढ़ाई करने वाले छात्रों का प्रदर्शन अन्य छात्रों से अधिक या अलग नहीं होता है। ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एवं डवलपमेंट (ओईसीडी) नाम की एक संस्था ने भारतीय स्कूलों में सर्वे करने के बाद यह रिपोर्ट जारी की है।
भारत के अधिकांश स्कूलों में बच्चों को कम्प्यूटर की सुविधा प्राप्त है। इन स्कूलों के छात्रों के परीक्षा परिणाम की तुलना उन स्कूल के बच्चों से की गई, जिनके पास कम्प्यूटर नहीं है। इससे प्राप्त परिणाम में कोई फर्क सामने नहीं आया।
दुनिया के बाकी देशों की बात करें तो दक्षिण कोरिया के छात्रों को औसतन 9 मिनट रोजाना कम्प्यूटर पढ़ाया जाता है। जबकि हांगकांग में यह समय 11 मिनट है। ऑस्ट्रेलिया में यह समय 58 मिनट है ते ग्रीस में 42 मिनट और स्वीडन में 39 मिनट।
कम्प्यूटर के दुष्प्रभाव
ओईसीडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कम्प्यूटर का प्रभाव छात्रों की पढ़ाई पर मिला-जुला पड़ा है। जो बच्चे नियमित रूप से पढ़ाई में कम्प्यूटर का उपयोग करते हैं, वो कुछ खास नहीं सीखते हैं। बल्कि ऐसे बच्चों में विज्ञान तथा गणित विषय का ज्ञान कम ही पाया गया है
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