कार्बन डाईऑक्साइड ऊर्जा का स्रोत हो सकता है
न्यूयॉर्क| वैज्ञानिकों ने एक ऐसे उत्प्रेरक की खोज की है, जो कार्बन डाईऑक्साइड को सिनगैस में बदलने की प्रणाली में सुधार ला सकता है। सिनगैस ऊर्जा का एक वैकल्पिक स्रोत है। अमेरिका के शिकागो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के वैज्ञानिकों ने रासायनिक प्रक्रिया के दौरान कार्बन डाईऑक्साइड के इलेक्ट्रॉन कम करने या हस्तांतरण करने के लिए दो चरणों में होने वाली एक उत्प्रेरक प्रक्रिया का विकास किया है, जिसमें मोलिब्डेनम डाईसल्फाइड और आयनिक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है।
यह नई प्रक्रिया अवकरण (रिडक्शन) की दक्षता में सुधार करता है और लागत में कमी लाता है। क्योंकि पहले इस प्रतिक्रिया के दौरान महंगी धातुओं जैसे सोना या चांदी का इस्तेमाल किया जाता था।
यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के मोहम्मद असादी ने कहा, “इस उत्प्रेरक की सहायता से हम कार्बन डाइऑक्साइड को सीधे सिनगैस में अवकृत कर सकते हैं। इसके लिए महंगी गैसीकरण प्रक्रिया की जरूरत नहीं है।”
उल्लेखनीय है कि किसी अनन्य अवकरण प्रक्रिया में प्रतिक्रिया उत्पाद केवल कार्बन मोनोक्साइड होता है।
जबकि नया उत्प्रेरक सिनगैस बनाता है, जो कार्बन मोनोऑक्साइडऔर हाइड्रोजन का मिश्रण है।
मैकेनिकल और औद्योगिक इंजीनियरिंग के प्रोफेसर अमीन सलेही-खोजिन ने कहा, “सिनगैस के उत्पादन के दौरान नए उत्प्रेरक की मदद से कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन के अनुपात को भी आसानी से संतुलित किया जा सकता है।”
शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यह सचमुच में एक बड़ी खोज है, जिसके माध्यम से कार्बन डाईऑक्साइड द्वारा ऊर्जा के स्रोत का व्यापक पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है।
यह अध्ययन पत्रिका ‘नेचर कम्यूनिकेशन’ में प्रकाशित हुआ है।
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