Anand's blog

डिस्कवरी नए मिशन पर रवाना

डिस्कवरी नए मिशन पर रवाना

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अमरीकी अंतरिक्ष यान डिस्कवरी को एक नए मिशन पर अंतरिक्ष में स्थित अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना किया है.

ठंडक देने वाला एसी कब बन जाता है जानलेवा?

ठंडक देने वाला एसी कब बन जाता है जानलेवा?

गर्मी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है...एसी ठीक करवा लेते हैं. गैस...कॉइलिंग चेक करवा लेते हैं, अब ज़रूरत महसूस होने लगी है...

शायद कुछ ऐसा ही सोचकर गुरुग्राम के सेक्टर-92 के सेरा हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले वासु ने एसी रिपेयर करने के लिए उन दो लोगों को बुलाया होगा.

वो दो लोग अब इस दुनिया में नहीं रहे, उनकी मौत हो चुकी है.

यह मामला गुरुग्राम के सेक्टर 10ए के पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया गया है.

बर्फ़ की तरह ठंडे पानी में डुबकी लगाने से डरना ज़रूरी क्यों है

बर्फ़ की तरह ठंडे पानी में डुबकी लगाने से डरना ज़रूरी क्यों है

गर्मी से राहत पाने के लिए लोग तैराक़ी करने जाते हैं और ठंडे पानी में डुबकी लगाकर राहत महसूस करते हैं.

वैसे, गर्मियों के अलावा भी ठंडे पानी में डुबकी लगाने और तैरने के अपने फ़ायदे हैं.

रूस, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे ठंडे देशों में तो बेहद सर्द पानी में डुबकी लगाने और तैरने के मुक़ाबले भी होते हैं.

हाड़ कंपाने वाली सर्दी में लोग पानी में डुबकी लगाकर रिकॉर्ड बनाते हैं और ऐसे पानी में तैरने के मुक़ाबले में शरीक़ होते हैं.

कहते हैं कि ठंडे पानी में डुबकी लगाने और तैरने के कई फ़ायदे होते हैं.
ठंडे पानी में तैराकी के जो फ़ायदे गिनाए जाते हैं, उनके मुताबिक़:

'गर्मी की वजह से बिगड़ता है बच्चों का रिजल्ट'

'गर्मी की वजह से बिगड़ता है बच्चों का रिजल्ट'

जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, बच्चों का मन पढ़ाई में लगना कम हो जाता है और उनका रिज़ल्ट बिगड़ने लगता है.

ये दावा अमरीका में हुए एक अध्ययन में किया गया है. यहां के एक करोड़ स्कूली बच्चों पर 13 साल तक ये स्टडी की गई. इन बच्चों पर किए गए टेस्ट के नतीजों का विश्लेषण हावर्ड, यूसीएलए और स्टेट ऑफ जार्जिया की टीमों ने किया.

गर्मी के मौसम में परीक्षा देने वाले बच्चे हमेशा घुटन भरी गर्मी लगने की शिकायत करते हैं.

स्टडी में शामिल एक प्रोफेसर जोशुआ गुडमैन ने कहा, "टीचर और छात्र इस समस्या से जूझते हैं, इसलिए वो पहले से इस बारे में जानते हैं."

दिल्ली की गर्मी में सर्दियों वाला प्रदूषण, माजरा क्या है?

दिल्ली की गर्मी में सर्दियों वाला प्रदूषण, माजरा क्या है?

अगर आप दिल्ली और आसपास के इलाक़ों में रहते हैं, तो घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही आपको अहसास हो रहा होगा कि दिल्ली की हवा इन दिनों पहले जैसी गर्मियों की तरह नहीं है.

आंखों में जलन औ0र सांस लेने में दिक़्क़्त की शिकायत आम तौर पर गर्मियों में नहीं मिलती थी. लेकिन इस बार दिल्ली की गर्मी कुछ इसी तरह की ही है.

11 जून से दिल्ली और आसपास के इलाक़े में प्रदूषण का स्तर ख़तरे के निशान के पार पहुंचा हुआ है, ऐसा अमूमन सर्दियों में होता है, लेकिन इन गर्मियों में दिल्ली का मौसम भी कुछ ऐसा ही हो गया है.

आख़िर इसकी वजह क्या है?

गर्मी बढ़ने का एक कारण, ठंडक देने वाले एयर कंडिशनर

गर्मी बढ़ने का एक कारण, ठंडक देने वाले एयर कंडिशनर

इन दिनों भारत के कई इलाकों में गर्मी अपना क़हर बरपा रही है. ऐसे में घरों, दफ़्तरों और दुकानों में लगे एयर कंडिशनर ही लोगों को गर्मी की तपन से राहत दे रहे हैं.

ग्लोबल वार्मिंग के इस माहौल में एयर कंडिशनर यानी एसी की डिमांड लगातार बढ़ रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमें ठंडक देने वाले ये एसी दुनिया को और गर्म बनाते जा रहे हैं?

दरअसल एयर कंडिशनर चलाने के लिए बिजली का ज़्यादा इस्तेमाल होता है. ये अतिरिक्त बिजली हमारे पर्यावरण को और गर्म बना रही है. पर्यावरणविदों का कहना है कि साल 2001 के बाद के 17 में से 16 साल अधिक गर्म रहे हैं.

अपनी मदद ख़तरनाक

अपनी मदद ख़तरनाक

एक नए शोध में कहा गया है कि आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आजमाए जाने वाले उपाय उल्टा प्रभाव डाल सकते हैं और घातक भी सिद्ध हो सकते हैं.

कनाडा के शोधकर्ताओं का मानना है कि जिन लोगों का आत्मविश्वास किन्हीं कारणों से कम हो जाता है और वो अगर बार बार अपने बारे में सकारात्मक बयान देते हैं तो इससे उन पर बुरा असर ही पड़ता है.

शोधकर्ताओं के अनुसार सकारात्मक टिप्पणियां उन्हीं लोगों को फ़ायदा पहुंचाती है जिनका आत्मविश्वास ऊंचा रहता है.

एन्टीबायटिक प्रतिरोधक एन्ज़ाइम मिला

एन्टीबायटिक प्रतिरोधक एन्ज़ाइम मिला

अमरीकी वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया के भीतर एक ऐसी प्रतिरक्षात्मक प्रणाली की खोज की है जिससे वह एन्टीबायटिक दवाओं से लड़ पाता है.

आशा है कि इस खोज से मौजूदा इलाज की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकेगा.

‘साइंस’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए इस अध्ययन ने पाया कि बैक्टीरिया नाइट्रिक ऑक्साइड पैदा करता है जो बहुत तरह की एन्टीबायटिक दवाओं के असर को ख़त्म कर देता है.

ब्रिटन के एक विशेषज्ञ का कहना है कि अगर नाइट्रिक ऑक्साइड को रोका जा सके तो ख़तरनाक संक्रमणों से जूझना आसान हो जाएगा.

जगदीश चतुर्वेदीः 18 मशीनें आविष्कार करने वाला भारतीय डॉक्टर

जगदीश चतुर्वेदीः 18 मशीनें आविष्कार करने वाला भारतीय डॉक्टर

जगदीश चतुर्वेदी कोई आम डॉक्टर नहीं हैं. वे हेल्थ केयर का बिज़नेस भी करते हैं.

बेंगलुरु में रहने वाले डॉक्टर चतुर्वेदी ने साल 2010 से 18 मेडिकल उपकरणों को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है.

उनकी भूमिका को-इन्वेंटर यानी सह-आविष्कारकर्ता की है. ये मशीनें भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था में मौजूद कमियों को दूर करने में मदद करने के इरादे से तैयार की गई हैं.

जगदीश नई पीढ़ी के पेशेवर लोगों की उस जमात से आते हैं, जो कामकाज में आने वाली परेशानियों को न केवल हल करने बल्कि उससे पैसा बनाने का हुनर भी जानते हैं.

क्या स्मार्टफ़ोन से इंसानी शरीर कमज़ोर हो रहा है?

क्या स्मार्टफ़ोन से इंसानी शरीर कमज़ोर हो रहा है?

नए दौर का रहन-सहन सिर्फ़ हमारी ज़िंदगी पर कई तरह से असर नहीं डाल रहा.

बल्कि ये हमारे शरीर की बनावट में भी बदलाव ला रहा है.

नई रिसर्च बताती है कि बहुत से लोगों की खोपड़ी के पिछले हिस्से में एक कीलनुमा उभार पैदा हो रहा है और कुहनी की हड्डी कमज़ोर हो रही है. शरीर की हड्डियों में ये बदलाव चौंकाने वाले हैं.

हर इंसान के शरीर का ढांचा उसके डीएनए के मुताबिक़ तैयार होता है. लेकिन, जीवन जीने के तरीक़े के साथ-साथ उसमें बदलाव भी होने लगते हैं.

भरी महफ़िल में बोलने से डरते हैं, तो पढ़िए

भरी महफ़िल में बोलने से डरते हैं, तो पढ़िए

क्या आप किसी पार्टी में जाने के ख़याल से ही कांपने लगते हैं? 

भरी महफ़िल में अपनी बात खुलकर कहने से कतराते हैं?

मीटिंग में प्रेज़ेंटेशन देने से घबराते हैं?

अगर आपका तजुर्बा ऐसा है, तो दुनिया में आप ऐसे अकेले इंसान नहीं. बहुत से लोग हैं जो संकोची और शर्मीले होते हैं. जिन्हें अजनबी लोगों से बात करने में हिचक होती है. जो पार्टियों में जाने से कतराते हैं.

सेक्स रॉफ्टः जब 101 दिनों तक नाव पर कैद रहे 11 लोग

सेक्स रॉफ्टः जब 101 दिनों तक नाव पर कैद रहे 11 लोग

हिंसा और सेक्स को लेकर साल 1973 में एक प्रयोग किया गया था, जिसमें 11 लोगों को तीन महीने के लिए समंदर में तैरते एक रॉफ़्ट (एक तरह की नाव) पर रखा गया.

मक़सद था इस बात की पड़ताल करना कि क्या विपरीत परिस्थितियों में उनमें उग्रता या हिंसा के भाव आते हैं या नहीं.

अपने समय के दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिक और बॉयोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी के विशेषज्ञ रहे सैंटियागो जीनोव्स को ये विचार नवंबर 1972 में एक विमान हाईजैक के बाद आया, जिसमें वो खुद भी सवार थे.

सेक्स रॉफ्टः जब 101 दिनों तक नाव पर कैद रहे 11 लोग

सेक्स रॉफ्टः जब 101 दिनों तक नाव पर कैद रहे 11 लोग

हिंसा और सेक्स को लेकर साल 1973 में एक प्रयोग किया गया था, जिसमें 11 लोगों को तीन महीने के लिए समंदर में तैरते एक रॉफ़्ट (एक तरह की नाव) पर रखा गया.

मक़सद था इस बात की पड़ताल करना कि क्या विपरीत परिस्थितियों में उनमें उग्रता या हिंसा के भाव आते हैं या नहीं.

अपने समय के दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिक और बॉयोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी के विशेषज्ञ रहे सैंटियागो जीनोव्स को ये विचार नवंबर 1972 में एक विमान हाईजैक के बाद आया, जिसमें वो खुद भी सवार थे.

हर ख़ुशबू का पता लगाना कितना मुश्किल

हर ख़ुशबू का पता लगाना कितना मुश्किल

फ्रांस्वा रॉबर्ट 40 साल से इत्र के पेशे में हैं. फ्रांस में उनका परिवार चार पीढ़ियों से यह काम कर रहा है.

वह 14 साल की उम्र में ही पारिवारिक इत्रफरोशी के कारोबार से जुड़ गए थे. उन्होंने अपने पिता का हाथ बंटाते हुए उनसे इस पेशे की बारीकियां सीखीं.

वह कहते हैं, "मैं ऐसे परिवार में पला-बढ़ा जहां मेरे पिता इत्र बनाते थे, मेरे दादा इत्र बनाते थे, मेरे परदादा इत्र बनाते थे. मुझे इसका जुनून है."

रॉबर्ट ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय इत्र ब्रांड क्विंटेसेंस का कारोबार संभालते हैं. यह कंपनी हर साल औसत 400 तरह की ख़ुशबुएं बनाती है.

एक हादसे ने कैसे एक शख्स को गणित का पंडित बना दिया

एक हादसे ने कैसे एक शख्स को गणित का पंडित बना दिया

गणित ऐसा विषय है, जिसमें बच्चों को अक्सर दिलचस्पी नहीं होती. बच्चों को गणित का टीचर किसी जल्लाद से कम नज़र नहीं आता.

इस विषय को नहीं पढ़ने के लिए बच्चे अपने ही तर्क देते हैं. उन्हें लगता है जोड़-जमा, घटाव और गुणा-भाग तक तो ठीक है लेकिन, रेखागणित और बीजगणित जैसे पेचीदा मसलों का रोज़मर्राह की ज़िंदगी में क्या काम?

लिहाज़ा इसे सीखने में इतनी माथा-पच्ची क्यों की जाए. यही तर्क देते थे अमरीका के अलास्का के बाशिंदे जेसन पैजेट.

एक हादसे ने कैसे एक शख्स को गणित का पंडित बना दिया

एक हादसे ने कैसे एक शख्स को गणित का पंडित बना दिया

गणित ऐसा विषय है, जिसमें बच्चों को अक्सर दिलचस्पी नहीं होती. बच्चों को गणित का टीचर किसी जल्लाद से कम नज़र नहीं आता.

इस विषय को नहीं पढ़ने के लिए बच्चे अपने ही तर्क देते हैं. उन्हें लगता है जोड़-जमा, घटाव और गुणा-भाग तक तो ठीक है लेकिन, रेखागणित और बीजगणित जैसे पेचीदा मसलों का रोज़मर्राह की ज़िंदगी में क्या काम?

लिहाज़ा इसे सीखने में इतनी माथा-पच्ची क्यों की जाए. यही तर्क देते थे अमरीका के अलास्का के बाशिंदे जेसन पैजेट.

फ़ेसऐप इस्तेमाल करने वाले इसलिए रहिए सावधान

फ़ेसऐप इस्तेमाल करने वाले इसलिए रहिए सावधान

सोशल मीडिया पर फ़ेसऐप की तस्वीरें अंधाधुंध पोस्ट की जा रही हैं. यह ऐप किसी भी व्यक्ति की तस्वीर को कृत्रिम तरीक़े से बुज़ुर्ग चेहरे में तब्दील कर देता है.

लेकिन आपको अपने बुढ़ापे की तस्वीर जितनी रोमांचित कर रही है उसके अपने ख़तरे भी हैं. यह रूसी ऐप है. जब आप ऐप को फ़ोटो बदलने के लिए भेजते हैं तो यह फ़ेसऐप सर्वर तक जाता है.

फ़ेसऐप यूज़र्स की तस्वीर को चुनकर अपलोड करता है. इसमें बदलाव कृत्रिम इंटेलिजेंस के ज़रिए किया जाता है. इसमें सर्वर का इस्तेमाल होता है और ऐप के ज़रिए ही आपको फ़ोटो खींचना होता है.

क्या इंसानों जैसे होंगे भविष्य के रोबोट?

क्या इंसानों जैसे होंगे भविष्य के रोबोट?

बीते कुछ वक़्त में मानव जैसे दिखने वाले रोबोट बनाने का ट्रेंड बढ़ा है लेकिन क्या इस तरह की मानव जैसी नज़र आने वाली मशीनों को बनाना डरावना नहीं? क्या ये भविष्य के लिए संभावित ख़तरा नहीं हैं?

हालांकि, आइज़ैक ऐसिमोव के रोबोट्स पर आधारित उपन्यास, 1980 के दशक की फ़िल्म का किरदार जॉनी 5, हॉलीवुड की फ़िल्म 'एवेंजर्सः द एज ऑफ़ अलट्रॉन' और चैनल 4 की साइंस-फिक्शन ड्रामा फ़िल्म 'ह्यूमन्स.'में रोबोट्स को मानव के बेहद क़रीब दिखाया गया है. इन फ़िल्मों में रोबोट्स के बच्चे हैं, ऐसे प्राणी हैं जो भावनाओं को और मानव जैसी चेतना को समझ सकते हैं.

लेकिन ये कितना सच है और इसकी कितनी ज़रूरत है?

तीन बेहद सस्ती चीज़ें जो मिटा सकती हैं दुनिया भर से कुपोषण

तीन बेहद सस्ती चीज़ें जो मिटा सकती हैं दुनिया भर से कुपोषण

तीन बेहद सस्ती और आसानी से मिलने वाली चीज़ें कुपोषित बच्चों की हालत तेज़ी से सुधारने की क्षमता रखती हैं.

अमरीका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया है कि ये तीन चीज़ें हैं- मूंगफली, चने और केले.

इन तीनों से तैयार किए गए आहार से आंतों में रहने वाले लाभदायक जीवाणुओं की हालत में सुधार होता है जिससे बच्चों का तेज़ी से विकास होता है.

बांग्लादेश में बहुत से कुपोषित बच्चों पर किए गए शोध के नतीज़ों के मुताबिक़, लाभदायक जीवाणुओं की संख्या बढ़ने से बच्चों की हड्डियों, दिमाग़ और पूरे शरीर के विकास में मदद मिलती है.

मीठे पेय पदार्थ पीते हैं तो आपको हो सकता है कैंसर?

मीठे पेय पदार्थ पीते हैं तो आपको हो सकता है कैंसर?

फ्रांस के वैज्ञानिकों का कहना है कि फ़्रूट जूस और फ़िज़्ज़ी पोप जैसे मीठे पेय पदार्थों से कैंसर का ख़तरा बढ़ सकता है.

यह बात ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक शोध के आधार पर कही गई है. यह शोध एक लाख लोगों पर पांच सालों तक किया गया है.

यूनिवर्सिटी सरबोर्न पेरिस सिटे की टीम का मानना है कि इसकी वजह ब्लड शूगर लेवल हो सकता है. हालांकि, इस शोध को साबित करने के लिए अभी काफ़ी साक्ष्यों की आवश्यकता है और विशेषज्ञों को अभी इस पर और शोध के लिए कहा गया है.

सोलो: लद्दाख का वह पौधा जिसे मोदी ने बताया संजीवनी बूटी

सोलो: लद्दाख का वह पौधा जिसे मोदी ने बताया संजीवनी बूटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार यानी 8 अगस्त को रात 8 बजे जब राष्ट्र को संबोधित किया तो पूरी जनता टकटकी लगाए उन्हें सुन रही थी.

नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर के बारे में लिए गए सरकार के ताज़ा फ़ैसले का ज़िक्र किया और यह भी बताया कि इस फ़ैसले से किस तरह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को फ़ायदा होगा.

लद्दाख के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने एक ख़ास पौधे का ज़िक्र किया, जिसे उन्होंने 'संजीवनी बूटी' बताया.

सनस्क्रीन आपके लिए कितना सुरक्षित है?

सनस्क्रीन आपके लिए कितना सुरक्षित है?

हर मौसम की कुछ ख़ास ज़रूरत होती है.

बारिश में छाता ज़रूरी है तो सर्दी में गर्म कपड़े और सनस्क्रीन शायद गर्मियों के लिहाज़ से बेहद ज़रूरी.

लेकिन सनस्क्रीन का चलन बीते कुछ सालों में बढ़ा है. बाज़ार में तरह-तरह के विकल्प हैं. त्वचा के हिसाब से, रंगत के अनुसार और बेशक ज़रूरत के आधार पर भी.

डॉक्टर भी ये बताते हैं कि पराबैंगनी किरणों से स्किन या त्वचा का कैंसर होने का ख़तरा होता है और इसलिए भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए

विक्रम साराभाई: जिन्होंने भारत को अंतरिक्ष में पहुंचाया

विक्रम साराभाई: जिन्होंने भारत को अंतरिक्ष में पहुंचाया

डॉक्टर विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को हुआ था. कॉस्मिक रे और अंतरिक्ष पर उनकी रिसर्च के लिए उन्हें पूरी दुनिया में जाना जाता है.

इनके पिता एक अमीर कपड़ा व्यापारी थे. आज यानी 12 अगस्त को इनकी 100वीं जयंती हैं. गूगल ने डूडल बनाते हुए इनको याद किया है.

डॉक्टर विक्रम साराभाई परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष रहे थे. अंतरिक्ष की दुनिया में साराभाई ने बहुत योगदान दिया. भारत को अंतरिक्ष तक पहुंचाने में इनका बहुत बड़ा हाथ था.

डॉक्टर होमी जे. भाभा की प्लेन क्रैश में मौत के बाद 1966 में इन्होंने परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष का पद संभाला था.

ट्रांस लूनर इंजेक्शन: वो धक्का, जिससे चांद पहुंचेगा चंद्रयान-2

ट्रांस लूनर इंजेक्शन: वो धक्का, जिससे चांद पहुंचेगा चंद्रयान-2

चंद्रयान-2 अब धरती की कक्षा से बाहर निकल चुका है.

इसरो का कहना है कि 20 अगस्त तक चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंच जाएगा और फिलहाल ये धरती की कक्षा से निकलकर चांद तक पहुंचने की प्रक्रिया में है.

ऐसे में आप सोच सकते हैं कि आख़िर ये प्रक्रिया होती क्या है?

दरअसल 22 जुलाई से 14 अगस्त तक चंद्रयान-2 को धरती की कक्षा में रखा गया था.

चंद्रयान धरती के कई चक्करों को लगाते हुए धीरे-धीरे चांद की तरफ़ बढ़ने लगता है. इसी के तहत चंद्रयान-2 की धरती से दूरी बढ़ती जाती है और वो चांद के क़रीब जाता रहता है.

 

 

मॉनसून में होने वाले वायरल से कैसे बचें

मॉनसून में होने वाले वायरल से कैसे बचें

बारिश के मौसम में बीमारियां बिन बुलाए मेहमान की तरह दस्तक देती हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि बारिश के चलते कई जगहों पर जलभराव और गंदगी होने से मच्छर और ख़तरनाक बैक्टीरिया जन्म ले लेते हैं.

पानी और हवा के जरिए ये बैक्टीरिया खाने और शरीर तक पहुंचते हैं और हम बुखार व फ़्लू जैसी बीमारियों की जकड़ में आ जाते हैं.

लेकिन, अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है.

झूठ बोले कौआ काटे..

झूठ बोले कौआ काटे..

महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में झूठ बोलने की फ़ितरत ज़्यादा होती है. और तो और झूठ बोलने के बाद पुरुषों को मलाल भी कम होता है.

ये बातें एक सर्वेक्षण में सामने आई हैं. करीब तीन हज़ार लोगों के सर्वेक्षण के बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि एक ब्रितानी पुरुष औसतन दिन में तीन बार झूठ बोलता है यानी साल भर में 1092 झूठ.

जबकि महिलाएँ साल भर में केवल 728 बार ही झूठ बोलती हैं यानी दिन में दो बार.

पुरुषों के टॉप-5 झूठ

मैने ज़्यादा नहीं पी

कुछ नहीं हुआ, मैं ठीक हूँ

सिग्नल नहीं था

ये ज़्यादा महंगी नहीं थी

टिकटॉक वाली कंपनी जल्दी बनाएगी स्मार्टफोन

टिकटॉक वाली कंपनी जल्दी बनाएगी स्मार्टफोन

वीडियो शेयरिंग एप टिकटॉक की बेहतरीन कामयाबी के बाद इसे बनाने वाली कंपनी अब स्मार्टफोन के बाज़ार में उतरने वाली है.

मौजूदा वक़्त में टिकटॉक सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली सोशल मीडिया एप है, जिसके लगभग 50 करोड़ यूज़र्स हैं.

टिकटॉक पर 15 सेकंड का वीडियो पोस्ट किया जाता है. इस एप को प्लेस्टोर से 100 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है.

टिकटॉक के डेवेलपर बाइटडांस अब स्मार्टफोन की दुनिया में प्रवेश करने पर विचार कर रहे हैं.

भारत का अभियान : चंद्रयान-2 चला चाँद की ओर

भारत का अभियान : चंद्रयान-2 चला चाँद की ओर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दूसरा मून मिशन Chandrayaan-2 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया गया. अब चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई है. करीब 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से करीब 182 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा.

सारांश

अंतिम समय में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग टालने के पीछे ये है कारण

अंतिम समय में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग टालने के पीछे ये है कारण

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के दूसरे मून मिशन Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग, लॉन्च से 56.24 मिनट पहले रोक दी गई. चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को तड़के 2.51 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया जाना था लेकिन 56.24 मिनट पहले काउंटडाउन रोक दिया गया. तत्काल इसरो वैज्ञानिक ये पता करने की कोशिश में जुट गए कि लॉन्च से ठीक पहले ये तकनीकी कमी कहां से आई. इसरो प्रवक्ता बीआर गुरुप्रसाद ने इसरो की तरफ से बयान देते हुए कहा कि जीएसएलवी-एमके3 लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) में खामी आने की वजह से लॉन्चिंग रोक दी गई है. लॉन्चिंग की अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी.

'कैंडल लाइट डिनर' से बचें !

किसी शांत जगह में अपनी महिला मित्र के साथ 'कैंडल लाइट डिनर' यानि मोमबत्ती की दूधिया रोशनी में शानदार भोजन भला किसे पसंद नहीं होगा. लेकिन शोधकर्ताओं ने आगाह किया है कि ऐसे रूमानी भोज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं!

साउथ कैरोलाइना स्टेट युनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने मोमबत्तियों से निकलने वाले धुएं का परीक्षण किया है.

उन्होंने पाया कि पैराफ़ीन की मोमबत्तियों से निकलने वाले हानिकारक धुएं का संबंध फेंफड़े के कैंसर और दमे जैसी बीमारियों से है.

हालांकि शोधकर्ताओं ने ये भी माना कि मोमबत्ती से निकलने वाले धुएं का स्वास्थ्य पर हानिकारक असर पड़ने में कई वर्ष लग सकते हैं.

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