Anand's blog

अलग-अलग ग्रहों से आए हैं पुरुष और महिलाएं?

अलग-अलग ग्रहों से आए हैं पुरुष और महिलाएं?

अंग्रेज़ी में एक कहावत है कि 'मैन आर फ़्रॉम मार्स, वीमेन आर फ़्रॉम वीनस' यानी पुरुष मंगल ग्रह से और महिलाएं शुक्र से आई हैं. लेकिन इन दोनों के मस्तिष्क पर हुए एक अध्ययन का मानना है कि एक मायने में यह सही हो सकता है.

एक ताज़ा अध्ययन में पाया गया है कि पुरुषों और महिलाओं के मस्तिष्क की बुनावट इस क़दर भिन्न है कि लगता है कि दोनों ही अलग-अलग ग्रह की प्रजातियां हैं.

पुरुषों के मस्तिष्क की बुनावट आगे से पीछे की ओर होती है और दोनों हिस्सों को जोड़ने के लिए कुछ ही तंतु होते हैं जबकि महिलाओं के मस्तिष्क में तंतु बाएं से दाहिने और दाहिने से बाएं तिरछे एकदूसरे से जुड़े रहते हैं.

अलग-अलग ग्रहों से आए हैं पुरुष और महिलाएं?

अलग-अलग ग्रहों से आए हैं पुरुष और महिलाएं?

अंग्रेज़ी में एक कहावत है कि 'मैन आर फ़्रॉम मार्स, वीमेन आर फ़्रॉम वीनस' यानी पुरुष मंगल ग्रह से और महिलाएं शुक्र से आई हैं. लेकिन इन दोनों के मस्तिष्क पर हुए एक अध्ययन का मानना है कि एक मायने में यह सही हो सकता है.

एक ताज़ा अध्ययन में पाया गया है कि पुरुषों और महिलाओं के मस्तिष्क की बुनावट इस क़दर भिन्न है कि लगता है कि दोनों ही अलग-अलग ग्रह की प्रजातियां हैं.

पुरुषों के मस्तिष्क की बुनावट आगे से पीछे की ओर होती है और दोनों हिस्सों को जोड़ने के लिए कुछ ही तंतु होते हैं जबकि महिलाओं के मस्तिष्क में तंतु बाएं से दाहिने और दाहिने से बाएं तिरछे एकदूसरे से जुड़े रहते हैं.

आपके बैंक को बदल रहा है सोशल मीडिया!

आपके बैंक को बदल रहा है सोशल मीडिया!

किसी भी बड़े बैंक के साथ अब अगर अपना अकाउंट खोलना है तो टेक्नोलॉजी की भूमिका अहम हो गई है.
अब बैंक नए ग्राहकों से फोटो नहीं मांगते बल्कि सेल्फी से ही काम चल जाता है. फेसबुक और ट्विटर की मदद से भी अब कई तरह के बैंकिंग ट्रांज़ेक्शन किये जा सकते हैं.
फ़ेडरल बैंक ने एक ऐप लॉन्च किया है जिसे डाउनलोड करके बस सेल्फी लीजिए, अपने आधार कार्ड को स्कैन कीजिये और सेविंग अकाउंट तुरंत खुल जाएगा. फॉर्म भरने का चक्कर ही ख़त्म.
फेसबुक पर यदि आपकी प्रोफाइल है तो आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और दूसरे बैंक भी आपको पैसे ट्रांसफर करने की इजाज़त देते हैं.

अरबों किलोमीटर का सफ़र संभव

अरबों किलोमीटर का सफ़र संभव

बहुत से लोग अंतरिक्ष में दूर तक की सैर का ख़्वाब देखते हैं. मगर अंतरिक्ष तो अनंत है. उसका कोई ओर-छोर नहीं. इंसान ने अब तक अरबों किलोमीटर के इसके विस्तार के एक हिस्से को ही जाना है. और मौजूदा अंतरिक्ष यान से आकाश के उस कोने तक पहुंचकर वापस धरती पर आना किसी एक इंसान की ज़िंदगी में मुमकिन नहीं.

तो आख़िर कौन सा ज़रिया हो सकता है जिससे अंतरिक्ष में अरबों किलोमीटर का सफ़र हम जल्द से जल्द तय कर सकें? फिर वहां से आकर बाक़ी लोगों को इस सफ़र की दास्तां सुना सकें.

मरने से ठीक पहले दिमाग क्या सोचता है |

मरने से ठीक पहले दिमाग क्या सोचता है |

जब से हम पैदा हुए हैं हमारा मस्तिष्क लगातार काम कर रहा है। आपका शरीर सोते समय आराम कर भी लेता है लेकिन मस्तिष्क कभी आराम नहीं करता वो उस समय भी सोचता है, जिस कारण आप सपने देख पाते हैं। मस्तिष्क बहुत सारे काम जैसे सोचना, संख्याओं को याद रखना, लिखने के लिए शब्द देना आदि करता है। बहुत से काम करने के लिए मस्तिष्क का स्थिर होना बहुत ज़रूरी है। आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कम समय में अधिक काम करने के लिएदिमाग का सही समय पर सही प्रतिक्रिया देना आवश्यक है। 

मौत के वक़्त किसी के दिमाग में क्या होता है?

बढती ऊम्र की महिलाएं क्यों भाती है पुरूषों को- कारण

बढती ऊम्र की महिलाएं क्यों भाती है पुरूषों को- कारण

यह देखा गया है कि तमाम लोग हैं जो अपनी से उम्र से बड़ी उम्र की महिलाओं को ज्यादा पसंद करते हैं परंतु ऐसा क्यों है युवा लड़कियों कम आकर्षक लगती हैं या इसके पीछे कोई छुपी हुई मानसिकता है?

आइए देखते हैं कि इसके पीछे के कारण क्या हैं:-

1- वे बातचीत अच्छे तरीके से करती हैं 

यह मुख्य कारण है कि युवा पुरुषों बड़ी उम्र की महिलाओं को ज्यादा पसंद करते हैं। अधिकांश पुरुष मानते हैं कि बड़ी उम्र की महिलाओं के पास जीवन का समृद्ध अनुभव होता है और वो अनावश्यक विषयों ज्यादा नहीं बोलती हैं।

2- वे कम गॉसिपिंग करतीं हैं

नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले सभी लोग एलियन्स के वंशज है?

नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले सभी लोग एलियन्स के वंशज है?

वैज्ञानिकों की मानें तो अगर किसी इंसान का ब्लड  ग्रुप नेगेटिव है तो उसके पूर्वज इस धरती के नहीं थे, बल्कि परग्रहवासी थे वैज्ञानिकों ने अपनी एक खोज में मानव ब्लड को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के इस चौंकाने वाले खुलासे की मानें तो अगर किसी इंसान का ब्लड ग्रुप नेगेटिव है तो उसके पूर्वज इस धरती के नहीं थे, बल्कि परग्रहवासी थे।एलियंस पर अपनी रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है की बहुत समय पहले सुदूर अंतरिक्ष से परग्रहवासी इस धरती पर आये थे और इस धरती की महिलाओं के जरिए संतान को जन्म दिया था। ब्लड ग्रुप नेगेटिव वाले लोग इन ही परग्रहवासियों के वंशज हैं।विज्ञान ने

पृथ्वी के भीतर हैं महासागर जाने विस्तार से

पृथ्वी के भीतर हैं महासागर जाने विस्तार से

एक हीरे के अंदर पाई गई रहस्यपूर्ण चट्टान ने इस सवाल को अहम बनाया कि पृथ्वी की सतह के नीचे क्या-क्या छिपा है.

इस रहस्यपूर्ण चट्टान में पानी के कण मिलना महत्वपूर्ण खोज थी. ये चट्टानें हमें बताती हैं कि पृथ्वी के भीतर, सतह के 500-600 किलोमीटर नीचे सदियों पहले क्या हुआ. और वहां क्या मौजूद है.

वैज्ञानिक दशकों से इन सवालों से जूझ रहे हैं कि पृथ्वी पर पानी कैसे आया, महासागर कैसे बनें और क्या पृथ्वी की सतह के नीचे और महासागर छिपे हुए हैं?

अब तक मनुष्य ने पृथ्वी की सतह के नीचे जो सबसे गहरा गड्ढ़ा बनाया है वो 10 किलोमीटर तक ही पहुँच पाया है.

फ़ेसबुक पर हाहा ने पछाड़ा lol को

फ़ेसबुक पर हाहा ने पछाड़ा lol को

आप फ़ेसबुक पर लोगों से कैसे बात करते हैं? मतलब जब आप ख़ुश होते हैं या कोई जोक अच्छा लगता है तो क्या जवाब देते हैं, lol, HaHa या फिर कोई Emoji.

फ़ेसबुक पर अपनी ख़ुशी को ज़ाहिर करने के लिए एक्सप्रेशन के तौर पर सबसे ज़्यादा लोग हाहा (HAHA) लिखते हैं.

जबकि यंग जेनरेशन के बीच सबसे पॉपुलर एक्सप्रेशन एलओएल (lol) काफ़ी पिछड़ गया है.

सब पर भारी हाहा

फ़ेसबुक के जारी आंकड़ों के मुताबिक़ 51.7 प्रतिशत यूज़र हाहा का इस्तेमाल करते हैं.

जबकि अपनी ख़ुशी को ज़ाहिर करने के लिए इमोजीस (Emojis) का इस्तेमाल 33.4 फ़ीसदी यूज़र करते हैं.

गूगल पर भूल कर भी न करें ये सर्च

गूगल पर भूल कर भी न करें ये सर्च

गूगल पर सर्च करने से पहले ये जानना बेहद जरुरी है कि कौन सी चीजें सर्च कपरने से हमें बचना चाहिए

घोंघे के दिमाग से समझदार बनेगा रोबोट

घोंघे के दिमाग से समझदार बनेगा रोबोट

एक शोध में सामने आया है कि घोंघा के मस्तिष्क में मात्र दो ही कोशिकाएं होने के बावजूद यह मुश्किल परिस्थिति में कठिन फैसला लेने में सक्षम होता है.
घोंघा के दिमाग की इस खूबी से वैज्ञानिक प्रभावित हैं और वह रोबोट का दिमाग ऐसा ही बनाना चाहते हैं ताकि उसे वह आधिक प्रभावी और समझदार बन सके.

शोध के अनुसार घोंघा भले ही तुरंत निर्णय नहीं ले पाते लेकिन वे कठिन परिस्थितियों में अपना दिमागी संतुलन बनाए रखते हैं और कड़े निर्णय लेने में सक्षम होते हैं. 

पृथ्वी से 30 लाख गुना बड़ा है ब्लैक होल

पृथ्वी से 30 लाख गुना बड़ा है ब्लैक होल

अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की पहली तस्वीर जारी की है. यह गैलैक्सी में लगभग 4000 करोड़ में फैला हुआ है और आकार में पृथ्वी से तीस लाख गुना बड़ा है.

ये तस्वीर इवेंट हॉरिज़न टेलिस्कोप से ली गई है जो आठ टेलिस्कोप का एक नेटवर्क है.

इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर हेनियो फ़ैल्के ने बीबीसी को बताया कि ब्लैक होल एम87 गैलेक्सी में पाया गया है.

ये हमारे सोलर सिस्टम से भी बड़ा है और वज़न में सूर्य से 650 करोड़ से ज़्यादा भारी है. ये ब्रह्मांड में मौजूद सबसे बड़ा ब्लैक होल है.

वे पक्षी जिन्हें भोजन नहीं साथी चाहिए

वे पक्षी जिन्हें भोजन नहीं साथी चाहिए

तारीख़ की गर्द में ना जाने कितने राज़ पोशीदा हैं. अगर कहा जाए कि तारीख़ का हरेक ज़र्रा अपने आप में एक राज़ छुपाए बैठा है तो ग़लत नहीं होगा. ब्रिटेन में ब्रिस्टॉल शहर के नज़दीक गो की गुफाओं से जब ये गर्द उड़ी तो इंसानी ज़िंदगी का एक ऐसा सच सामने आया जिस पर यक़ीन करना शायद थोड़ा मुश्किल हो. इस गुफ़ा में इंसानी जिस्म के जो अवशेष मिले उससे पता चलता है कि इंसान कभी आदमख़ोर होता था. वो एक दूसरे का ही शिकार कर लेते थे.

वे पक्षी जिन्हें भोजन नहीं साथी चाहिए

वे पक्षी जिन्हें भोजन नहीं साथी चाहिए

कुछ पक्षियों को एक साथ रहना पसंद होता है और इसके लिए वे भूखे भी रह सकते हैं. वैज्ञानिकों को इसका पता तब चला जब ग्रेट टिट पक्षियों को एक समान वातावरण में रखा गया, और भोजन नहीं दिया गया.

ग्रेट टिट जोड़ों ने भोजन खोजने की जगह एक-दूसरे के साथ समय बिताने को तरजीह दी.

करेंट बॉयोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन बताता है कि इन पक्षियों में सामाजिक रिश्तों और सामूहिकता का बोध मौजूद है.

इन पक्षियों को ये भी पता होता है कि परिवार को बढ़ाने और पालने के लिए उन्हें अपने साथी के सहयोग की ज़रूरत होगी.

अब 'भेजा-टू-भेजा' भेज सकेंगे ईमेल!

अब 'भेजा-टू-भेजा' भेज सकेंगे ईमेल!

क्या हम किसी दिन अपने दिमाग़ों को इंटरनेट से जोड़ सकते हैं.

इंटरनेट कनेक्शन आज सबसे तेज़ और किसी भी अन्य संचार प्रणाली से बढ़कर हो गया है जो हमें जुड़े रखने में मदद करता है.

कभी-कभी हमें महसूस होता है कि हम अपनी इच्छा से ईमेल संचार करने की कगार पर हैं.

मैंने ईमेल भेजा, आपको मिला, आपने इसे पढ़ा और जवाब दिया- सब कुछ बस कुछ ही सेकंड में हो गया.

भले ही आप ये मानें या न मानें कि त्वरित संचार अच्छी बात है, लेकिन यह निश्चित तौर पर हो रहा है.

हिटलर की आत्मकथा: कॉपीराइट हटा तो क्या होगा?

हिटलर की आत्मकथा: कॉपीराइट हटा तो क्या होगा?

जर्मन तानाशाह एडोल्फ़ हिटलर की आत्मकथा माइन काम्फ़ (मेरा संघर्ष) पर 2015 के अंत में कॉपीराइट खत्म हो जाएगा.

क्या होगा जब जर्मन अधिकारी इस किताब के प्रकाशन और वितरण पर नियंत्रण नहीं रख पाएँगे.

माइन काम्फ़ पर से कॉपीराइट खत्म होने का मतलब है कि जर्मनी में कोई भी इसे छाप सकेगा.

क्या हो सकता असर, पढ़ें पूरा लेख
जर्मनी में लेखक की मृत्यु के 70 साल बाद (2015 के अंत में) किसी किताब का कॉपीराइट खत्म होता है. इसके बाद किसी के भी पास उसे छापने का हक़ होता है. हिटलर ने 1945 में आत्महत्या की थी.

सबसे ज़हरीला सांप, बिच्छू या घोंघा?

सबसे ज़हरीला सांप, बिच्छू या घोंघा?

दुनिया के सबसे ज़हरीले जानवरों की किसी भी सूची में सांप शीर्ष स्थान पर आते हैं. सारे सांप ज़हरीले तो नहीं होते लेकिन कुछ सांप काफ़ी ज़हरीले होते हैं.

ऑस्ट्रेलिया की ब्रिसबेन यूनिवर्सिटी के डॉ. ब्रायन फ्राय के मुताबिक़ ऑस्ट्रेलिया की एक स्थानीय प्रजाति सबसे ज़्यादा ज़हर बनाती है.

ब्रायन फ्राय कहते हैं, "मुल्गा सांप की एक बाइट में 1.3 ग्राम ज़हर होता है." इस सांप को किंग ब्राउन भी कहा जाता है और यह पूरे ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है. यह अमूमन लकड़ी के पुराने ढेर या कचरे में पाया जाता है.

हालांकि इसके बाद भी ऑस्ट्रेला में सांप काटने के मामले कम ही सामने आते हैं.

'भारतीय एशिया के सबसे बड़े भुलक्कड़, कैब में टीवी तक भूल जाते हैं लोग'

'भारतीय एशिया के सबसे बड़े भुलक्कड़, कैब में टीवी तक भूल जाते हैं लोग'

भूलने की समस्या लगभग हर किसी को होती है, लेकिन हम भारतीयों में ये समस्य कुछ ज्यादा ही है। हम भारतीय कैब से यात्रा करने के दौरान ना सिर्फ अपना फोन भूलते हैं, बल्कि बच्चों की तिपहिया साइकिल, एलसीडी टीवी, बैग, झींगा मछली तक छोड़ जाते हैं। ऐसी कई कहानियां आपको मिलेंगी। एप आधारित टैक्सी सेवा देने वाली उबर ने अपने एक सर्वेक्षण में ऐसी कई घटनाओं का जिक्र किया है जहां भारतीय एलसीडी टीवी तक उसकी कैब में यात्रा करने के दौरान भूल गए।

ये अपने बच्चों की जान क्यों ले रहे हैं?

ये अपने बच्चों की जान क्यों ले रहे हैं?

कोलंबिया, इक्वेडोर और बेलीज़ में पाया गया है कि एक ख़ास नस्ल के बांदर- स्पाइडर मंकी अपने ही नर बच्चों की हत्या कर रहे हैं.

एक नए अध्ययन के मुताबिक स्पाइडर मंकी के नर बच्चों की हत्या की वजह यौन प्रतिस्पर्धा को रोकना है.

स्पाइडर मंकी इन्हें इसलिए कहा जाता है कि ये बंदर कभी-कभार ही ज़मीन पर अपने पैर रखते हों. एक डाली से दूसरी डाली और एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर यह घंटों टंगे रहते हैं.

इस कूदने-फांदने और टहनियों से लटकने में इनकी पूंछ भी इनकी मदद करती है.

स्तनधारियों में 35 वानर प्रजातियों समेत 119 प्रजातियों में शिशुहत्या सामान्य बात है.

क्या ये इंसानों की नई प्रजाति है?

क्या ये इंसानों की नई प्रजाति है?

चीन में पिछले दिनों विचित्र किस्म का जीवाश्म मिला, जो अब तक मालूम मानव प्रजाति के जीवाश्म से मेल नहीं खाता. क्या यह जीवाश्म किसी नए जीव के अस्तित्व की ओर इशारा करता है?

ये जीवाश्म न तो यूरोप में 35 हजार से डेढ़ लाख साल पहले मिले आदिमानव से मेल खाता है और न आधुनिक मानव से.

यह एकदम अलग है, पर जीवाश्म किस जीव का है, इसे लेकर कुछ भी तय नहीं है.

हालांकि जीवाश्म से संकेत मिलते हैं कि कोई अज्ञात प्रजाति के मानवों का अस्तित्व 60 हज़ार से एक लाख 20 हज़ार साल पहले मौजूद था.

मुमकिन है कि ये जीवाश्म किन्हीं दो मालूम प्रजातियों के बीच रूपांतरण काल का हो सकता है.

क्या ये इंसानों की नई प्रजाति है?

क्या ये इंसानों की नई प्रजाति है?

चीन में पिछले दिनों विचित्र किस्म का जीवाश्म मिला, जो अब तक मालूम मानव प्रजाति के जीवाश्म से मेल नहीं खाता. क्या यह जीवाश्म किसी नए जीव के अस्तित्व की ओर इशारा करता है?

ये जीवाश्म न तो यूरोप में 35 हजार से डेढ़ लाख साल पहले मिले आदिमानव से मेल खाता है और न आधुनिक मानव से.

यह एकदम अलग है, पर जीवाश्म किस जीव का है, इसे लेकर कुछ भी तय नहीं है.

हालांकि जीवाश्म से संकेत मिलते हैं कि कोई अज्ञात प्रजाति के मानवों का अस्तित्व 60 हज़ार से एक लाख 20 हज़ार साल पहले मौजूद था.

मुमकिन है कि ये जीवाश्म किन्हीं दो मालूम प्रजातियों के बीच रूपांतरण काल का हो सकता है.

दिल को बीमार करने वाला ख़तरनाक जीन

दिल को बीमार करने वाला ख़तरनाक जीन

तनाव के लिए ज़िम्मेदार एक जीन को हृदयघात या दिल की बीमारी में मौत का ख़तरा बढ़ाने वाला क़रार दिया गया है.

हृदय के जिन मरीजों में जीन संबंधी ऐसे बदलाव होते हैं, उनमें दिल के दौरे का खतरा 38 फ़ीसदी बढ़ जाता है. ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन का कहना है कि इस अध्ययन से सीधे तौर पर तनाव के कारण हृदय संबंधी बीमारियों का ख़तरा बढ़ने का प्रमाण और पुख़्ता होता है.

ड्यूक यूनीवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ मेडिसिन की एक टीम ने मानव जीनोम के उस डीएनए का अध्ययन किया, जो तनाव से जुड़ा होता है. उन्होंने पाया कि जीन में परिवर्तन होने पर दिल के मरीज़ों में दौरा पड़ने या मौत का ख़तरा 38 फ़ीसदी बढ़ जाता है.

दिल को बीमार करने वाला ख़तरनाक जीन

दिल को बीमार करने वाला ख़तरनाक जीन

तनाव के लिए ज़िम्मेदार एक जीन को हृदयघात या दिल की बीमारी में मौत का ख़तरा बढ़ाने वाला क़रार दिया गया है.

हृदय के जिन मरीजों में जीन संबंधी ऐसे बदलाव होते हैं, उनमें दिल के दौरे का खतरा 38 फ़ीसदी बढ़ जाता है. ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन का कहना है कि इस अध्ययन से सीधे तौर पर तनाव के कारण हृदय संबंधी बीमारियों का ख़तरा बढ़ने का प्रमाण और पुख़्ता होता है.

ड्यूक यूनीवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ मेडिसिन की एक टीम ने मानव जीनोम के उस डीएनए का अध्ययन किया, जो तनाव से जुड़ा होता है. उन्होंने पाया कि जीन में परिवर्तन होने पर दिल के मरीज़ों में दौरा पड़ने या मौत का ख़तरा 38 फ़ीसदी बढ़ जाता है.

नगालैंड में सिर काटने वाला क़बीला

नगालैंड में सिर काटने वाला क़बीला

लोंगवा घने जंगलों के बीच म्यांमार सीमा से लगता भारत का आख़िरी गांव है. भारत के इस पूर्वोत्तर राज्य में 16 जनजातियां रहती हैं.

नगालैंड में सबसे अधिक कबीले
कोंयाक आदिवासियों को बेहद खूंखार माना जाता है. अपने क़बीले की सत्ता और ज़मीन पर क़ब्जे के लिए वे अक्सर पड़ोस के गांवों से लड़ाईयां किया करते थे.

कोंयाक गांव क्योंकि पहाड़ की चोटी पर है, इसलिए वे वहाँ से आसानी से अपने दुश्मनों पर नज़र रख सकते हैं.

सेहत के लिए खड़े रहना अच्छा

सेहत के लिए खड़े रहना अच्छा

अनुमान लगाइए कि आप दिन भर में कितने घंटे बैठे-बैठे गुजारते हैं? हाल में किए गए एक सर्वे में पता चला है कि हम कंप्यूटर पर काम करते हुए या टीवी देखते हुए करीब 12 घंटे बैठे हुए बिता देते हैं. यदि इसमें सोने के घंटों को भी मिला लें, तो हम 19 घंटे निष्क्रिय बिता देते हैं. कुछ अध्ययनों के अनुसार ज्यादा घंटे बैठने वाले लोग ज्यादा सक्रिय लोगों से दो साल कम जीते हैं. बल्कि यदि आपको रोज कसरत की भी आदत हो तो भी इससे खास फर्क नहीं पड़ता.

दिमाग़ की उत्तेजना दिल के लिए फायदेमंद!

दिमाग़ की उत्तेजना दिल के लिए फायदेमंद!

दिमाग़ के एक हिस्से की उत्तेजना दिल के लिए फायदेमंद हो सकती है.

'प्रोसीडिंग्स ऑफ़ द नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंस' में प्रकाशित इस रिसर्च पेपर के अनुसार दिमाग़ का जो हिस्सा शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करता है, उसके उत्तेजित होने से दिल का दौरा पड़ने के बाद मरीज़ की हालत सुधर सकती है.

अध्ययन में चूहे के दिमाग़ पर तेज़ रोशनी डाली गई. ये चूहे उन जानवरों की तुलना में तेजी से दौड़ने लगे जिन पर यह प्रयोग नहीं आज़माया गया था.

भुलक्कड़ नहीं कहलाना है तो कसरत करें

भुलक्कड़ नहीं कहलाना है तो कसरत करें

70 साल की उम्र में भी दिमाग ठीक से काम कर सके और 'डिमेनशिया' यानी भूलने जैसी बीमारी ना हो इसके लिए ज़रूरी है व्यायाम करना.

लेकिन, बुढ़ापे में दिमाग दुरुस्त रखने के लिए ज़रूरी नहीं कि दिमागी कसरत ही की जाए. 70 की उम्र में रोजाना शारीरिक व्यायाम भी दिमाग़ को दुरुस्त रख सकता है.

ब्रिटेन में सेवानिवृत्त हो चुके 668 लोगों पर तीन वर्षों तक किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि वे लोग जो शारीरिक रूप से क्रियाशील हैं, उनके दिमाग में किसी तरह का संकुचन नहीं होता और उम्र अपना असर नहीं दिखाती.

आप 'टालूराम' हैं तो ये ज़रूर पढ़ें

आप 'टालूराम' हैं तो ये ज़रूर पढ़ें

क्या आपको काम टालने की आदत है? काम पूरा करने में अक्सर देर हो जाती है? मैं तो अक्सर काम टालती थी, काम पूरा करने में देर लगाती थी.

इसलिए मैने तय किया है कि मैं दिमाग़ी प्रशिक्षण लूँगी ताकि भटकते मन से पैदा होने वाली समस्याओं से निजात पा सकूँ. लेकिन क्या ये संभव है?

अपनी एकाग्रता बढ़ाने और मन को भटकने से रोकने के लिए मैं अमरीका की बोस्टन अटेंशन एंड लर्निंग लैब में पहुँची. दिमाग़ पर शोध करने वाले वैज्ञानिक माइक ईस्टरमैन और जो दीगुटिस ने पिछले सात साल में दिमाग़ का प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया है जो एकाग्रता बढ़ाता है.

क्या दूसरे दिल की सुनता है दिमाग़?

क्या दूसरे दिल की सुनता है दिमाग़?

जब किसी आदमी को नया दिल लगाया जाता है, तो उसका दिमाग़ भी असामान्य रूप से बदल जाता है. क्यों?

इससे हमारे पूरे शरीर के बारे में हैरान करने वाले तथ्यों का पता चला.

कार्लोस (बदला हुआ नाम) के शरीर में एक छोटा यांत्रिक पंप (दूसरा दिल) लगाया गया था ताकि उसके दिल की कमज़ोर हो चुकी मांसपेशियों का बोझ कम किया जा सके.

कार्लोस को अपने पेट पर एक हल्की 'टक्कर' महसूस होती थी जो उनके दूसरे दिल की धड़कन थी.

ऐसा लगता था कि मशीन की थाप ने उनकी नब्ज की जगह ले ली हो. जब नाभि के ऊपर मशीन धड़कती तो कार्लोस को ऐसा लगता कि उनके दिल को पेट के निचले हिस्सा में गिरा दिया गया है.

क्या दूसरे दिल की सुनता है दिमाग़?

क्या दूसरे दिल की सुनता है दिमाग़?

जब किसी आदमी को नया दिल लगाया जाता है, तो उसका दिमाग़ भी असामान्य रूप से बदल जाता है. क्यों?

इससे हमारे पूरे शरीर के बारे में हैरान करने वाले तथ्यों का पता चला.

कार्लोस (बदला हुआ नाम) के शरीर में एक छोटा यांत्रिक पंप (दूसरा दिल) लगाया गया था ताकि उसके दिल की कमज़ोर हो चुकी मांसपेशियों का बोझ कम किया जा सके.

कार्लोस को अपने पेट पर एक हल्की 'टक्कर' महसूस होती थी जो उनके दूसरे दिल की धड़कन थी.

ऐसा लगता था कि मशीन की थाप ने उनकी नब्ज की जगह ले ली हो. जब नाभि के ऊपर मशीन धड़कती तो कार्लोस को ऐसा लगता कि उनके दिल को पेट के निचले हिस्सा में गिरा दिया गया है.

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