एक हादसे ने कैसे एक शख्स को गणित का पंडित बना दिया

get iti website @ 1800/-

 

 

एक हादसे ने कैसे एक शख्स को गणित का पंडित बना दिया

गणित ऐसा विषय है, जिसमें बच्चों को अक्सर दिलचस्पी नहीं होती. बच्चों को गणित का टीचर किसी जल्लाद से कम नज़र नहीं आता.

इस विषय को नहीं पढ़ने के लिए बच्चे अपने ही तर्क देते हैं. उन्हें लगता है जोड़-जमा, घटाव और गुणा-भाग तक तो ठीक है लेकिन, रेखागणित और बीजगणित जैसे पेचीदा मसलों का रोज़मर्राह की ज़िंदगी में क्या काम?

लिहाज़ा इसे सीखने में इतनी माथा-पच्ची क्यों की जाए. यही तर्क देते थे अमरीका के अलास्का के बाशिंदे जेसन पैजेट.

उन्हें गणित सीखने में रत्ती भर दिलचस्पी नहीं थी. लेकिन एक हादसे ने उन्हें गणित का पंडित बना दिया. वो भी उम्र के उस हिस्से में जब लोग ज़िंदगी के दूसरे पड़ाव पर पहुंच चुके होते हैं.

जेसन पेशे से कारोबारी हैं और गद्दों का कारोबार करते हैं. उन्होंने अपनी ज़िंदगी बहुत बिंदास अंदाज़ में जी है. पढ़ाई-लिखाई में उन्हें कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी. गणित में तो ख़ास तौर से.
लेकिन 12 सितंबर 2002 के बाद उनकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई. इस रोज़ वो अपने दोस्तों के साथ पार्टी करके लौट रहे थे तभी कुछ बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया और उनके सिर पर गहरी चोट लग गई.

हालांकि चोट ती ठीक हो गई लेकिन उनका बर्ताव अचानक बदल गया. उन्हें बाहर निकलने से डर लगने लगा. अगर कोई उनके क़रीब आता तो तुरंत अपने हाथ धोने लगते थे.

यहां तक कि जब उनकी बेटी पास आती थी तो वो उसके भी हाथ पैर धुला करते थे. मेडिकल साइंस में इस बर्ताव को ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर (OCD) कहते हैं.

हादसे के बाद जेसन में बड़ा बदलाव आया

अपने बदलते नकारात्मक बर्ताव के साथ-साथ जेसन ने ख़ुद में एक और बड़ा परिवर्तन देखा. वो हरेक चीज़ को बहुत ग़ौर से देखने लगे.

उन्हें हरेक चीज़ ज्यामिति के आकार की नज़र आने लगी. यहां तक कि नल से आने वाले पानी की बूंदों में भी आकृतियां दिखाई देने लगीं. उनका दिमाग़ गणित और भौतिक विज्ञान में रिश्ता तलाशने लगा.

चूंकि जेसन एकांत जीवन जी रहे थे, ऐसे में इंटरनेट उनका साथी बना. और उन्होंने ऑनलाइन गणित सीखना शुरू कर दिया.

नेट पर उन्होंने गणित के बहुत से कॉन्सेप्ट सीख लिए. हालांकि उनका दिमाग़ जिन तस्वोरों को देखता था वो उसे गणित से जोड़ नहीं पा रहे थे.

एक दिन उनकी बेटी ने उनसे पूछा कि टीवी काम कैसे करता है और यहीं से उनकी मुश्किल आसान हो गई. दरअसल टीवी पर जो तस्वीर हम देखते हैं वो बहुत छोटे-छोटे पिक्सेल से बनती है लेकिन क़रीब से इन पिक्सल को देखें तो ये गोल ना होकर ज़िग-ज़ैग की शक्ल में होते हैं.

जब आप इन ज़िग-ज़ैग को टुकड़ों में काटते हो तो भी गोल शक्ल नहीं मिलती.

गणित के सवाल और भावनाएं

सायनेस्थेसिया के शिकार
ज्यामितीय आकृतियों के प्रति अपना जुनून लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्हें गणित की भाषा जानना ज़रूरी था.

लिहाज़ा उन्होंने गणित सीखने के लिए बाक़ायदा कम्युनिटी कॉलेज में दाख़िला ले लिया और गणित सीखना शुरू कर दिया.

लेकिन बड़ा सवाल यही था कि आख़िर क्या वजह थी कि जेसन पैजेट को ज्यामितीय आकार वाली चीज़ें और ग्राफ़ ही हर जगह क्यों नज़र आते थे. इसके लिए जैसनट ने तंत्रिका वैज्ञानिक बेरिट ब्रोगार्ड की मदद ली.

जेसन से घंटों बात-चीत करने के बाद डॉक्टर ब्रोगार्ड ने बताया कि वो सायनेस्थेसिया का शिकार हैं. ये एक तरह की दिमाग़ी हालत होती है जब दिमाग़ की नसें गड्डमड्ड हो जाती हैं.

दिमाग़ किसी और ही दिशा में काम करने लगता है. दिमाग़ जिस चीज़ के बारे में सोचता हो वो या तो सिर्फ़ दिमाग़ में रहती हैं या फिर उसकी सोच के मुताबिक़ ही हरेक चीज़ नज़र आने लगती है.

डॉक्टर ब्रोगार्ड ने हेलसिंकी की आल्टो यूनिवर्सिटी की ब्रेन रिसर्च यूनिट में जैसन के कई ब्रेन स्कैन किए. उसी से पता चला कि जेसन के दिमाग़ के कुछ हिस्सों में समझने की ताक़त नहीं है. लेकिन, वो कुछ ख़ास तरह की तस्वीरें उकेर सकता है.

हमलावर ने ख़त लिखकर माफ़ी मांगी
जेसन ने अपने तज़ुर्बे की बुनियाद पर एक किताब लिखी जिसका नाम है 'स्ट्रक बाय जीनियस'. उन्होंने दुनिया भर में जाकर लोगों को अपनी कहानी बताई और लोगों को गणित सिखाया.

2002 में 12 सितंबर की उस रात जिन दो लोगों ने जेसन पर हमला किया था, उन्हें कभी भी अपराधी नहीं ठहराया गया. हालांकि जेसन ने दोनों को पहचान लिया था. अलबत्ता इन हमलावरों में से एक ने उन्हें ख़त लिखकर माफ़ी मांगी.

जेसन कहते हैं आज उनकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई है. उस एक चोट ने उन्हें दुनिया में नज़र आने वाली हरेक चीज़ में ऐसी आकृतियां दिखानी शुरू कर दीं जो किसी और को नज़र नहीं आतीं.
 
पिता ने बच्चे के लिए गणित पर बनाए गाने

मिसाल के लिए अगर बारिश की बूंदें गिरती हैं तो पेगेट को उन बूंदों में अनगिनत आकृतियां नज़र आती हैं जो एक दूसरे पर तारों की तरह या बर्फ की बूंदों की तरह लहराती हैं.

जेसन सोचते हैं जो कुछ वो देख पाते हैं काश उसे ज़माना भी देख पाता. उन्हें आज सितंबर की उस रात के हादसे का कोई अफ़सोस नहीं है. आज वो एक ख़ुशहाल ज़िंदगी जी रहे हैं

ITI Student Resume Portal

रिज्यूम पोर्टल का मुख्य उद्देश्य योग्य छात्रों की जानकारी सार्वजनिक पटल पर लाने की है जिससे जिन्हें आवश्यकता हो वह अपने सुविधा अनुसार छात्रों का चयन कर सकते हैं

ITI Student Resume

Search engine adsence