घोंघे के दिमाग से समझदार बनेगा रोबोट
एक शोध में सामने आया है कि घोंघा के मस्तिष्क में मात्र दो ही कोशिकाएं होने के बावजूद यह मुश्किल परिस्थिति में कठिन फैसला लेने में सक्षम होता है.
घोंघा के दिमाग की इस खूबी से वैज्ञानिक प्रभावित हैं और वह रोबोट का दिमाग ऐसा ही बनाना चाहते हैं ताकि उसे वह आधिक प्रभावी और समझदार बन सके.
शोध के अनुसार घोंघा भले ही तुरंत निर्णय नहीं ले पाते लेकिन वे कठिन परिस्थितियों में अपना दिमागी संतुलन बनाए रखते हैं और कड़े निर्णय लेने में सक्षम होते हैं.
इंग्लैंड के ससेक्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और मुख्य शोधकर्ता जॉर्ज र्कींमस ने कहा कि जब हम कोई जटिल काम कर रहे होते हैं तो हमारे दिमाग में क्या चल रहा होता इसकी जानकारी हमें नहीं रहती.
लेकिन घोंघे के साथ ऐसा नहीं है. एक कोशिका सूचना देती है और दूसरी निर्णय लेती है घोंघे के दिमाग की एक कोशिका उसे बताती है कि उसे यह भूख लगी है या नहीं, जबकि दूसरी उसे भोजन की मौजूदगी की सूचना देती है. यह शोध खाने की तलाश कर रहे घोंघे की दिमागी गतिविधि के अध्ययन के आधार पर किया गया है.
प्रोफेसर र्कींमस ने कहा कि शोध में यह भी पता चला है कि निर्णय लेने के बाद वे कितनी ऊर्जा खर्च करते हैं, इसके प्रबंधन में भी यही कोशिकाएं मदद करती हैं. जटिल कार्यों में कम से कम तत्वों का इस्तेमाल करने की इस खोज से आगे चल कर रोबोट के दिमाग को विकसित करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि लक्ष्य निर्देशित निर्णय लेने के दौरान, जानवर जितना संभव हो कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं जो बाहरी पर्यावरण और आंतरिक स्थिति दोनों के बारे में जानकारी होने पर ही संभव है.
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