अकेलेपन के सन्नाटे को चीरते 5 सच

अकेलेपन के सन्नाटे को चीरते 5 सच

हम सब ने अपनी ज़िंदगी में कभी न कभी ख़ुद को अकेला महसूस किया होगा. आज दुनिया भर में अकेलेपन को लेकर बड़ी चर्चा हो रही है.

ब्रिटेन में एक मंत्री को सरकारी विभागों में अकेलेपन से जूझ रहे लोगों की समस्याओं को सुलझाने की ज़िम्मेदारी दी गई है.

दिक़्क़त ये है कि अकेलेपन को लेकर तमाम मिथक गढ़े गए हैं. ये सच्चाई से परे हैं. मगर बहुत से लोग इन पर यक़ीन करते हैं.

इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

अकेलेपन को समझने के लिए हमें पहले इन मिथकों की सच्चाई जाननी होगी.

 

1. अकेलेपन का मतलब अलग-थलग पड़ना है
अकेलापन महसूस करने का मतलब अकेला होना नहीं है. इसका मतलब ये है कि आप दूसरों से जुड़ाव महसूस नहीं करते.

आप ये सोचते हैं कि कोई आपको समझता नहीं. इसमें अलग-थलग पड़ना भी एक वजह हो सकती है.

लेकिन ये अकेलापन नहीं है. आप भीड़ में भी अकेला महसूस कर सकते हैं.

वहीं कई बार आप अकेले वक़्त बिताकर भी बेहद ख़ुशी और राहत महसूस कर सकते हैं.

2016 में बीबीसी की 'रेस्ट टेस्ट' रिसर्च में लोगों से पूछा गया कि उनके लिए सुकून का अनुभव क्या है.

टॉप पांच विकल्पों में सभी में लोगों ने यही कहा कि वो कुछ वक़्त अकेले बिताकर आराम महसूस करते हैं.

लेकिन, जब हमारे पास लोगों से मिलने-जुलने और साथ वक़्त बिताने का विकल्प न हो, तब हम अकेलेपन के शिकार हो जाते हैं.

2. अकेलापन इस वक़्त महामारी की तरह फैल रहा है
आज की तारीख़ में दुनिया भर में अकेलेपन की चर्चा भले हो रही है.

लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आज से कुछ साल पहले के मुक़ाबले आज ज़्यादा लोग अकेलेपन के शिकार हैं.

साल 1948 में लंदन की ब्रुनेल यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध से लेकर आज तक समाज में अकेलापन महसूस करने वालों का अनुपात कमोबेश एक जैसा ही रहा है.

यानी पिछले 70 सालों से आबादी के 6-13 फ़ीसद लोग अकेलेपन की शिकायत करते आ रहे हैं. हां, आबादी बढ़ी है, तो अकेलापन महसूस करने वालों की संख्या भी बढ़ी है.

इसमें कोई दो राय नहीं कि आज अकेलेपन की वजह से बहुत से लोग दुखी हैं.

3. अकेलापन हमेशा बहुत ख़राब होता है.
यक़ीनन अकेलापन ख़राब बात है. मगर कई बार ये हमें नए लोगों से जुड़ने और नए दोस्त बनाने का मौक़ा भी देता है.

अकेलेपन में हम पुराने रिश्तों को नई रौशनी में देखते हैं. उनमें सुधार और नया जोश भरने की कोशिश करते हैं.

शिकागो यूनिवर्सिटी के सामाजिक मनोवैज्ञानिक जॉन कैसिओपो कहते हैं कि ये मामला प्यास का है. जैसे आप प्यासे होते हैं, तो पानी तलाशते हैं. ठीक उसी तरह अकेलापन महसूस करने पर आप, दोस्त, साथी और ऐसे परिचितों को तलाशते हैं, जिनके साथ अच्छा वक़्त बिता सकें. जो आपको समझ सकें. यानी कई बार अकेलापन हमें नए रिश्ते बनाने और पुरानों को बेहतर करने का मौक़ा भी देता है.

इंसान हज़ारों साल से ऐसे ही एक समाज के तौर पर एक-दूसरे के साथ रिश्ते बनाकर रहता आया है.

ये मुश्किलों से निपटने का मानवता का एक तरीक़ा रहा है. यही हमें अकेलेपन से निपटने में भी मदद करता है.

आम तौर पर अकेलापन स्थायी नहीं होता. लेकिन अगर ये ज़्यादा बढ़ जाए, तो मामला गंभीर हो सकता है.

इसके शिकार लोगों का हाल-चाल ख़राब हो सकता है. उन्हें अच्छी नींद आने में दिक़्क़त होने लगती है.

वो बहुत दुखी महसूस करते हैं. दुखी होने पर वो ख़ुद को बाक़ी लोगों से काट लेते हैं.

इससे वो और अकेला महसूस करते हैं. धीरे-धीरे वो डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं.

4. अकेलेपन से सेहत ख़राब होती है
ये मिथक ज़रा पेचीदा है. हम अक्सर ये आंकड़े देखते हैं कि अकेलेपन से सेहत ख़राब होती है.

कुछ शोधों में ये पता चला है कि अकेलेपन की वजह से दिल की बीमारी और दौरा पड़ने की आशंका एक तिहाई तक बढ़ जाती है.

अकेलेपन के शिकार लोगों का ब्लड प्रेशर भी ज़्यादा होता है. उनकी औसत उम्र भी कम हो जाती है.

लेकिन इन शोधों पर आंख मूंदकर भरोसा करना ठीक नहीं.

ये भी हो सकता है कि अकेलेपन के शिकार लोग ज़्यादा बीमार होते हों.

और ये भी मुमकिन है कि बीमार लोग अपनी बीमारी की वजह से अलग-थलग पड़ जाते हों.

ये भी हो सकता है कि अकेलेपन के शिकार लोग अपनी सेहत का ठीक से ख़याल नहीं रखते. उन्हें दिलचस्पी नहीं होती.

इसीलिए शोध में ये बात सामने आती है कि अकेलेपन से बीमारियां बढ़ती हैं.

यानी दोनों ही बातें हो सकती हैं. अकेलेपन से बीमारियां बढ़ती हैं. या बीमारियों से भी अकेलापन बढ़ सकता है.

5. ज़्यादातर बुजुर्ग अकेलेपन के शिकार होते हैं
आम तौर पर बढ़ी हुई उम्र में लोग ज़्यादा अकेलापन महसूस करते हैं.

लेकिन, मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी की पामेला क्वाल्टर के शोध में पता चला था कि किशोर भी बहुत अकेलेपन के शिकार होते हैं.

कई शोधों ने ये भी बताया है कि आम राय के बरक्स 50-60 फ़ीसद उम्रदराज़ लोग अकेलेपन के शिकार नहीं होते.

कुल मिलाकर हमें अभी भी अकेलेपन की परेशानी को समझने के लिए और जानकारी जुटाने की ज़रूरत है.

बीबीसी ने भी लोनलीनेस एक्सपेरीमेंट के तहत मैनचेस्टर, ब्रुनेल और एक्सटर यूनिवर्सिटी की मदद से एक शोध शुरू किया है.

आप भी इसका हिस्सा बन सकते हैं. अकेलेपन के बारे में अपनी जानकारी और राय साझा कर सकते हैं.

ITI Student Resume Portal

रिज्यूम पोर्टल का मुख्य उद्देश्य योग्य छात्रों की जानकारी सार्वजनिक पटल पर लाने की है जिससे जिन्हें आवश्यकता हो वह अपने सुविधा अनुसार छात्रों का चयन कर सकते हैं

ITI Student Resume

Search engine adsence