फ़ेसबुक छोड़ो, सुख से जियो

फ़ेसबुक छोड़ो, सुख से जियो

आप अपनी लाइफ़ में खुश रहना चाहते हैं, तो कुछ दिनों के लिए फ़ेसबुक को हाथ मत लगाइए.

ऐसा डेनमार्क के कोपनहेगन विश्वविद्यालय में की गई ताज़ा रिसर्च के आधार पर कहा जा रहा है.

मॉर्टन ट्रॉमहोल्ट ने मास्टर की अपनी थीसिस में लिखा है, "ज़्यादातर लोग रोज़ाना फ़ेसबुक का इस्तेमाल करते हैं, पर उन्हें इसके नतीजों की जानकारी नहीं है. इस रिसर्च में यह पाया गया है कि फ़ेसबुक के इस्तेमाल से आपकी खुशी कम हो जाती है."

ट्रॉमहोल्ट ने साल 2015 के अंत में 1,095 लोगों पर अपना अध्ययन किया. इसमें आधे लोगों से कहा गया कि वे एक हफ़्ते तक फ़ेसबुक से दूर रहें.

...तो इसका नतीजा क्या हुआ?

इस रिसर्च में पाया गया कि इन लोगों में सकारात्मक भावनाएं पहले से अधिक थीं और वे जीवन से संतुष्ट लग रहे थे.

ट्रॉमहोल्ट कहते हैं, "यह पाया गया कि जो लोग फ़ेसबुक को छोड़ चुके थे, वे उन लोगों से ज्यादा खुश और संतुष्ट थे, जो फ़ेसबुक का इस्तेमाल कर रहे थे. लोगों की भावनाएं अधिक सकारात्मक थीं और वे जीवन के प्रति अधिक संतुष्ट थे."

जो लोग सोशल नेटवर्क साइट से जुड़े हुए थे, जीवन के प्रति उनका संतोष का स्तर 1 से 10 से पैमाने पर 7.75 था. जिन्होंने फ़ेसबुक छोड़ दिया था, उनके मन में जीवन से संतोष का स्तर 8.12 था. यानी वे अधिक संतुष्ट थे.

प्रयोग के अंतिम दिन दोनों ही समूह के लोगों से पूछा गया कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है.

जिन्होंने फ़ेसबुक छोड़ दिया था, उनमें से 88 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि वे खुश हैं और 84 प्रतिशत ने बताया कि वे जीवन का आनंद उठा रहे हैं. लेकिन जो फ़ेसबुक पर बने हुए थे, उनमें से सिर्फ़ 81 प्रतिशत लोग खुश थे और 75 फ़ीसदी लोग जीवन का आनंद उठा रहे थे.

इसके बाद दुख और चिंता जैसी नकारात्मक भावनाओं का भी विश्लेषण किया गया.

फ़ेसबुक का इस्तेमाल करने वालों में से 34 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे नाखुश हैं और 25 फ़ीसद लोगों ने कहा कि वे अकेलापन झेल रहे हैं. लेकिन फ़ेसबुक छोड़ देने वालों में 22 प्रतिशत लोग दुखी थे और 16 फ़ीसदी लोग अकेलेपन का शिकार थे.

इस प्रयोग से यह नतीजा भी निकला कि फ़ेसबुक से दूर रहने वालों को ध्यान केंद्रित करने में कम दिक्क़तों का सामना करना पड़ा. वे अपने सामाजिक जीवन पर अधिक ध्यान दे पाए

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