मॉनसून में होने वाले वायरल से कैसे बचें

मॉनसून में होने वाले वायरल से कैसे बचें

बारिश के मौसम में बीमारियां बिन बुलाए मेहमान की तरह दस्तक देती हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि बारिश के चलते कई जगहों पर जलभराव और गंदगी होने से मच्छर और ख़तरनाक बैक्टीरिया जन्म ले लेते हैं.

पानी और हवा के जरिए ये बैक्टीरिया खाने और शरीर तक पहुंचते हैं और हम बुखार व फ़्लू जैसी बीमारियों की जकड़ में आ जाते हैं.

लेकिन, अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है.

मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में एंडोक्राइनोलॉजी और इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर विनीत अरोड़ा मानसून में होने वाली बीमारियों को तीन श्रेणियों में बांटते हैं.
सामान्य बुख़ार और जुक़ाम

वायरल बुख़ार, मौसम बदलने के साथ वातावरण में आए कीटाणुओं से होने वाले बुख़ार को कहते हैं. ये हवा और पानी के ज़रिए फैलते हैं.

सामान्य बुख़ार किस तरह का है ये वायरस के प्रकार पर निर्भर करता है. इतने अलग-अलग वायरस जांचने के लिए बहुत ज्यादा टेस्ट उपलब्ध नहीं हैं.

वैसे तो इसमें सिर्फ़ बुख़ार ही आता है लेकिन कुछ में खांसी और जोड़ों में दर्द भी हो सकता है. लेकिन ये फ़्लू, डेंगू या चिकनगुनिया नहीं होते हैं.

बुख़ार तीन से सात दिनों तक रह सकता है. इसकी मियाद वायरस पर निर्भर करती है.

बचाव के तरीके-

डॉक्टर विनीत अरोड़ा कहते हैं कि साफ-सफाई बचाव का सबसे अच्छा तरीका है.

खाने से पहले हाथ धोना सबसे ज़्यादा जरूरी है. कहीं न कहीं हम उसमें लापरवाही कर जाते हैं.
डाइट अच्छी रखें, ताज़ा खाना और फल खाएं. बाहर का खाना भी खाने से बचें और बासी खाना न खाएं.
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फ़्लू (इंफ़्लूएंज़ा)
इस समय सबसे ज़्यादा फ़्लू देखने को मिलता है, जिसे इंफ़्लूएंज़ा भी कहते हैं.

इसी दौरान स्वाइन फ़्लू भी फैलता है. ये फ़्लू का ही एक प्रकार है लेकिन ये ज़्यादा घातक होता है. जांच के बाद ही पता चल पाता है कि कॉमन फ़्लू है या स्वाइन फ़्लू.

इसमें जुकाम, खांसी होती है, तेज़ बुख़ार आता है और जोड़ों में दर्द होता है. इसमें सांस की मशीनों की भी ज़रूरत पड़ जाती है.

ज्यादातर लोग जुकाम और गले की परेशानियों को लेकर आते हैं जो कॉमन फ़्लू के भी लक्षण होते हैं.

कॉमन फ़्लू पांच से सात दिनों तक रहता है. दवाई लेने के बाद भी ठीक होने में इतना समय लग जाता है. जुकाम, खांसी ठीक होने में 10 से 15 दिन भी लग जाते हैं.

स्वाइन फ़्लू का बुख़ार भी इतने दिन चलता है लेकिन इसके निमोनिया बनने का ख़तरा रहता है.

बचाव के तरीके-

डॉक्टर विनीत अरोड़ा कहते हैं कि फ़्लू से बचाव के लिए वैक्सीन लगा सकते हैं. जैसे कि ये बीमारियां हर साल आ जाती हैं तो वैक्सीन लगाकर आप इससे बच सकते हैं. वैक्सीन के बावजूद भी अगर फ़्लू होता है तो उसका असर कम होता है.
इसके अलावा इन दिनों में भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बच सकते हैं. ऐसी जगहों पर बीमार व्यक्ति के खांसने या छींकने से दूसरे लोग संक्रमित हो सकते हैं.
फ़्लू छूने से भी फैलता है. जैसे किसी ने छींकते वक़्त अपने चेहरे पर हाथ रखा और फिर उसी हाथ से कुछ और छू लिया. जब आप उस चीज़ के संपर्क में आते हैं तो आपको भी बीमारी होने की आशंका होती है. भीड़ वाली जगह पर मास्क पहनकर भी जा सकते हैं.

मच्छर का काटना
चिकनगुनिया और डेंगू भी वायरस से होने वाली बीमारियां हैं लेकिन ये वेक्टर बॉर्न डिज़ीज हैं जो मच्छर के काटने से होती हैं.

इसमें जोड़ों में दर्द के साथ तेज़ बुखार आता है. साथ ही उल्टियां और सिरदर्द होता है.

डेंगू में शुरुआत में तेज बुख़ार आता है. सिरदर्द और आंखों के पीछे दर्द महसूस होता है.

चिकनगुनिया में जोड़ों में दर्द ज़्यादा तेज होता है लेकिन दोनों में ही शुरुआती दो या तीन दिन काफ़ी तेज बुखार रहता है.

डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने के कारण शरीर पर चकत्ते हो जाते हैं, जिन्हें रेशेज़ कहते हैं.

बचाव के तरीके

चिकनगुनिया और डेंगू के लिए भारत में कोई वैक्सीन नहीं है. विदेश में डेंगू के लिए वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है.
घरों को साफ़ रखें, कूलर, चिड़िया के बर्तन, गड्ढे, गमलों और टायर आदि में ज़्यादा दिनों तक पानी न इकट्ठा न होने दें. इनमें मच्छर पनपने लगते हैं.
पूरी बाजू के कपड़े पहनें. खासतौर पर बच्चों के लिए इस बात का ध्यान रखें

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