भुलक्कड़ नहीं कहलाना है तो कसरत करें

भुलक्कड़ नहीं कहलाना है तो कसरत करें

70 साल की उम्र में भी दिमाग ठीक से काम कर सके और 'डिमेनशिया' यानी भूलने जैसी बीमारी ना हो इसके लिए ज़रूरी है व्यायाम करना.

लेकिन, बुढ़ापे में दिमाग दुरुस्त रखने के लिए ज़रूरी नहीं कि दिमागी कसरत ही की जाए. 70 की उम्र में रोजाना शारीरिक व्यायाम भी दिमाग़ को दुरुस्त रख सकता है.

ब्रिटेन में सेवानिवृत्त हो चुके 668 लोगों पर तीन वर्षों तक किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि वे लोग जो शारीरिक रूप से क्रियाशील हैं, उनके दिमाग में किसी तरह का संकुचन नहीं होता और उम्र अपना असर नहीं दिखाती.

वहीं दिमागी कसरत करना, शतरंज खेलना, समाजिक गतिविधियों में शामिल रहना अथवा अपने मित्रों और परिजनों के साथ समय गुजारना, दिमाग की स्थिति को ठीक रखने के लिए खास मायने नहीं रखता.

ताकि दिमाग रहे दुरुस्त
इस पर आगे और अध्ययन करने की जरूरत है ताकि ये पता चल सके कि आखिरकार शारीरिक कसरत का दिमाग पर किस हद तक बेहतर असर पड़ता है

डॉक्टर साइमन रिडले, प्रमुख शोधकर्ता

शोधकर्ताओं ने जब 70 वर्ष के लोगों के दिमाग के सफेद हिस्से (दिमाग का वो हिस्सा जो पूरी खोपड़ी में किसी संदेश को पहुंचाने का काम करता है) का अध्ययन किया तो पाया कि जो लोग लगातार शारीरिक रूप से क्रियाशील थे, उनके दिमाग को कम क्षति पहुंची थी बजाय उनके जो लोग कम क्रियाशील थे.

विशेषज्ञ मानते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ दिमाग की स्थिति कमजोर होती चली जाती है, जिनमें भूलने की आदत से लेकर सोचने की क्षमता तक शामिल है.

लेकिन शारीरिक व्यायाम करते हुए इन लक्षणों को कम किया जा सकता है.

दरअसल, कसरत से हमारे शरीर में खून का प्रवाह बरकरार रहता है जो दिमाग को ऑक्सीजन और दूसरे पोषक तत्व देता है.

ब्रिटेन के प्रमुख शोधकर्ता साइमन रिडले कहते हैं, “ये अध्ययन बताता है कि शारीरिक व्यायाम करने वालों के दिमाग पर बढ़ती उम्र का असर कम होता है. ”

साइमन आगे कहते हैं, “अगर अधेड़ उम्र के साथ ही व्यायाम शुरू कर दिया जाए तो भूलने जैसी भयानक बीमारी से बचा जा सकता है.”

शोधकर्ता के मुताबिक आने वाले कुछ सालों तक उन लोगों की कार्यशैली का अध्ययन करना होगा जिन लोगों पर ये शोध किया गया है, ताकि शारीरिक क्रियाकलापों से दिमाग पर पड़ने वाले असर पर और ज्यादा जानकारी हासिल हो सके, साथ ही शारीरिक कसरत के दिमाग पर होने वाले असर और फायदे को जांचा जा सके

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