गोल्डन मिल्क दुनिया भर में क्यों हो रहा है मशहूर
गोल्डन मिल्क- दक्षिण एशिया की ये रेसिपी अब पश्चिम के कई देशों में खूब लोकप्रिय हो रही है.
लेकिन आप सोच रहे होंगे कि ये गोल्डन मिल्क आख़िर है क्या?
गोल्डन मिल्क दुनिया के अन्य देशों के लिए नई रेसिपी हो सकती है. लेकिन भारत के लोगों के लिए ये सदियों पुरानी चीज़ है. ये घर-घर में इस्तेमाल किया जाने वाला नुस्खा है जो नानी-दादी के वक्त से कई तरह की बीमारियों से बचने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता रहा है.
पश्चिमी देश आज जिसे 'गोल्डन मिल्क' कह रहे हैं, वो भारत के लोगों के लिए 'हल्दी वाला दूध' है. इसके ख़ास खूबियों की वजह से अब से कई देशों में लोकप्रिय हो रहा है.
इसे बनाना जितना आसान है, इसकी खूबियां भी उतनी ही लाजवाब हैं. दुनिया भर के कॉफी शॉप्स में ये बिकने लगा है और इसके फायदों की वजह से काफी लोग इसे पी रहे हैं.
कितना फायदेमंद हैगोल्डन मिल्क?
गोल्डन मिल्क में डाली जाने वाली मुख्य सामग्री है- हल्दी.
हल्दी के पौधे में मुख्य चीज़ उसकी जड़ होती है. इसी को सुखा कर हल्दी का पावडर बनया जाता है.
भारत में हल्दी, घर-घर में लगभग हर सब्ज़ी में डाली जाती है. इसके अलावा कई आयुर्वेदिक औषधियों में भी इसका इस्तेमाल होता है.
एंटी ऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लामेटरी
हल्दी की एक ख़ासियत ये है कि ये एंटी-इंफ्लामेटरी होती है, यानी इससे सूजन कम करने में मदद मिलती है.
कई शोध में सामने आया है कि जोड़ों के दर्द और सूजन के लिए ली जाने वाली एलोपैथी की दवाइयों के मुक़ाबले हल्दी ज़्यादा कारगर है.
हालांकि न्यूट्रीनिस्ट का कहना है कि इसके असर का ठीक से पता लगाने के लिए भी और शोध किए जाने की ज़रूरत है.
कई अध्ययनों में पता चला है कि हल्दी में एंटी-ऑक्सिडेंट गुण भी होते हैं. इससे घबराहट और रक्तचाप का बढ़ना, खून में चीनी क मात्रा अनियंत्रित होना, हाजमे से जुड़ी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद मिलती है
लंदन में हल्दी-दूध की धूम
2017 में मिशिगन केंद्रीय यूनिवर्सिटी और नोवा साउथइस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कहा था कि हल्दी आसानी से ना हज़म होती है और ना शरीर में सोखी जाती है.
लेकिन जानकार मानते हैं कि अगर काली मिर्च के साथ या दूसरी चीज़ों के साथ इसका इस्तेमाल किया जाए, तो ये शरीर के लिए लाभदायक हो सकती है.
हल्दी में मौजूद टर्मेनॉर को दिमाग की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है.
कई देशों में हल्दी दूध में दालचीनी और अदरक भी मिला कर पिया जाता है.
पेट दर्द, हाजमे से जुड़ी समस्याओं और कमज़ोरी जैसे मामलों में अदरक फायदेमंद भी हो सकता है. चीनी पारंपरिक दवाइयों में दालचीनी का आम तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.
न्यूट्रीनिस्ट केरी टॉरेन्स कहती हैं कि दालचीनी सालों से पेट की समस्याओं के लिए कई देशों में इस्तेमाल की जाती है.
वो कहती हैं, "दालचीनी बीमारियों से लड़ने और ख़ून में ऑक्सीजन की मात्रा बेहतर करने में भी काफी कारगर साबित हो सकी है.
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