भारत में मिली नई प्रजाति की छिपकली
वैज्ञानिकों ने भारत में महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट के हरे-भरे पहाड़ों में एक नई प्रजाति की छिपकली की खोज की है.
छिपकली की प्रजाति के इस सरिसृप की खोज कोल्हापुर ज़िले के एक जीव-वर्गीकरण विशेषज्ञ वरद गिरी ने की है. इस प्रजाति का नाम सीनेमैसपिस कोल्हापुरेन्सिस रखा गया है.
वरद गिरी और उनके सहयोगियों ने अपनी खोज के बारे में इस माह के ज़ूटाक्सा जर्नल में प्रकाशित किया है.
हाल के दिनों में इस इलाक़े में खोजी गई छिपकली की यह तीसरी प्रजाति है.
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम में क्यूरेटर का काम करने वाले वरद गिरी ने बीबीसी को बताया कि उभयजीवी प्राणियों और सरिसृपों के लिए आज तक पश्चिमी घाट का सर्वेक्षण नहीं किया गया है.
उनका कहना है, "जिस नई प्रजाति की छिपकली की खोज हमने की है, उसके गुण-धर्म दुनिया की किसी और प्रजाति से नहीं मिलते."
Image captionवरद गिरी ने इस प्रजाति की खोज की है
उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में पहाडों का सर्वेक्षण करते हुए उन्हें छिपकली की यह प्रजाति दिखी थी.
उनका कहना था कि पहली बार में तो यह छिपकली की सामान्य प्रजाति की तरह की दिखाई देती थी लेकिन बाद में ठीक से देखने पर पता चला कि इसके शल्क चमकदार हैं.
गिरी का कहना है कि इस छिपकली को जब रोशनी में रखा गया तो इसकी पूँछ में इंद्रधनुषी चमक दिखाई दी.
उनका कहना है कि इंद्रधनुषी चमक आमतौर पर कई सरिसृपों में दिखाई देती है लेकिन किसी छिपकली में नहीं.
इसके बाद वरद गिरी और उनके सहयोगी इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि यह छिपकली की एक ऐसी प्रजाति है, जो अभी तक ज्ञात नहीं थी.
इसके बाद उन्होंने अमरीका के विलीनोवा यूनिवर्सिटी के सरिसृप विशेषज्ञ डॉक्टर आरोन एम बाउर से संपर्क किया जिससे कि इस प्रजाति के नए होने की पुष्टि की जा सके.
इस नई प्रजाति के बारे में वे बताते हैं कि छोटी सी इस छिपकली की आँखों की पुतलियाँ अंडाकार होने की जगह गोल होती हैं.
यह ज़्यादातर जंगल में मिलती है लेकिन यह कई ऐसी जगहों पर भी मिल जाती है जहाँ आबादी है.
इसे पुराने टूटे पत्तों के ढेर में या पत्थर के नीचे पाया जा सकता है.
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