भारतीय वैज्ञानिकों ने ढूंढी भूकंप की भविष्यवाणी की तकनीक

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भारतीय वैज्ञानिकों ने ढूंढी भूकंप की भविष्यवाणी की तकनीक

भूकंप आखिर आता क्यों है? इस अनसुलझे रहस्य का पता लगाने के लिए देश के वैज्ञानिक अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च में लगे हुए
भूकंप आखिर आता क्यों है? इस अनसुलझे रहस्य का पता लगाने के लिए देश के वैज्ञानिक अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च में लगे हुए 
  नई दिल्ली। भूकंप आखिर आता क्यों है? इस अनसुलझे रहस्य का पता लगाने के लिए देश के वैज्ञानिक अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च में लगे हुए। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भू-भौतिकी अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) वैज्ञानिकों ने इसके लिए महाराष्ट्र के कोयना में जमीन के 7 किमी अंदर होने वाली हलचलों का अध्ययन शुरू किया है।वैज्ञानिकों का दावा है कि इस अध्ययन के बाद भूकंप की भविष्यवाणी भी की जा सकेगी। एनजीआरआई के वैज्ञानिक डॉक्टर हर्ष गुप्ता के मुताबिक, हमने अपने रिसर्च के लिए पुणे के नजदीक दक्कन के पठार स्थित कोयना इलाके का चयन किया है। इस शोध से वैज्ञानिक इस इलाके में आने वाले भूकंप के साथ ही अन्य जगहों पर आने वाले भूकंप के पीछे का कारणों को भी ज्यादा गहराई से समझने की कोशिश करेंगे।कोयना में ही क्यों हो रही रिसर्चकोयना सिस्मिक जोन में आता है। इस इलाके में पिछले पांच दशकों से छोटे-बड़े भूकंप आते रहे हैं। यही कारण है कि वैज्ञानिकों ने इस इलाके को भूकंप के अध्ययन के लिए चुना है।दुनिया में अब तक भूकंप की भविष्यवाणी करने वाली तकनीक नहीं आई है। अगर हम ऐसा करने में सफल हुए तो यह हमारे देश की बड़ी उपलब्धि होगी।- डॉ. हर्ष गुप्ता, वैज्ञानिकऐसे होगी रिसर्च- भूकंप के अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने डीप ड्रिलिंग विधि अपनाने का फैसला किया है।  इसमें  किमी गहराई पर फॉल्ट ज़ोन ऑब्जरवेटरी (निरीक्षण शाला) स्थापित होगी। वैज्ञानिकों ने 1.5 और 1.2 किमी गहरे दो बोरवेल बनाए हैं, ऐसे 6 बोरवेल और बनाए जाएंगे। इन बोरवेल में दो सिस्मिकमीटर भी स्थापित करेंगे

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