नासा पर्यटकों के लिए खोलेगा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन
पर्यटक अगले साल से नासा के अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जा सकेंगे. इसके लिए उन्हें एक रात के 35 हज़ार डॉलर चुकाने होंगे.
अमरीका की अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि वो स्पेस स्टेशन को पर्यटन और दूसरे व्यापारिक उपक्रमों के लिए खोल रही है.
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की उप निदेशक रॉबिन गैटेंस ने कहा कि हर साल कम अवधि के दो प्राइवेट अंतरिक्ष मिशन भेजे जाएंगे. इन मिशन का खर्च निजी कंपनियां उठाएंगी.
नासा ने बताया कि प्राइवेट अंतरिक्ष-यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन तक जाने के लिए तीस दिन तक का वक्त मिलेगा. वो अमरीका के स्पेसक्राफ्ट से यात्रा करेंगे.
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन बाहरी अंतरिक्ष में स्थित है. इसे अंतरिक्ष से जुड़े शोध करने के लिए विकसित किया गया है. ये पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में स्थापित है.
ये स्पेस स्टेशन एक तरह का कृत्रिम उपग्रह है, जहां लोग रहते हैं, काम करते हैं और तमाम तरह के प्रयोग करते हैं.
मुख्य वित्तीय अधिकारी जेफ डेविट ने न्यूयॉर्क में कहा, "नासा अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन को व्यावसायिक अवसरों के लिए खोल रहा है. हम ये पहली बार करने जा रहे हैं."
नासा ने कहा कि प्राइवेट कंपनियां तय करेंगी कि क्रू में कौन-कौन होगा और प्राइवेट अंतरिक्ष-यात्रियों को अंतरिक्ष उड़ान के लिए ट्रेनिंग और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराएगी.
हर साल 12 निजी अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन जा पाएंगे.
नासा ने दो कंपनियों को इस काम के लिए नियुक्त किया है - इलोन मस्क की स्पेसएक्स और बोइंग. स्पेसएक्स अपने ड्रेगन कैप्सूल का इस्तेमाल करेगी और बोइंग स्टारलाइनर नाम का स्पेसक्राफ्ट बना रही है.
ये कंपनियां किसी निजी अंतरिक्ष-यात्री से उतना ही किराया वसूलेंगी, जितना वो नासा से उसके अंतरिक्ष-यात्रियों के लिए लेती है. यानी इसके लिए प्रति फ्लाइट उन्हें छह करोड़ डॉलर किराया देना होगा.
पहले पर्यटक
इससे पहले नासा ने स्पेस स्टेशन के किसी व्यावसायिक इस्तेमाल पर रोक लगाई हुई थी और उसके अंतरिक्षयात्री किसी कंपनी की रिसर्च में हिस्सा नहीं ले सकते थे.
हालांकि नासा इस स्टेशन का मालिक नहीं है. साल 1998 में इसे बनाने की शुरुआत हुई थी. अमरीका ने रूस के साथ मिलकर इसे बनाया था.
साल 2001 में अमरीकी कारोबा
अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड
री डेनिस टिटो अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले पर्यटक थे. उन्होंने दोनों तरफ की यात्रा के लिए रूस को दो करोड़ डॉलर चुकाए थे.ट्रंप ने पिछले साल जो बजट पेश किया था, उसमें मांग की गई थी कि साल 2025 तक स्टेशन को सरकारी पैसे से चलाया जाना बंद किया जाए.
ऐसे में नासा की ये नई घोषणा स्टेशन का पूरी तरह से निजीकरण किए जाने की ओर बढ़ाया गया कदम है.
स्पेस एजेंसी ने हाल ही में घोषणा की थी कि वो साल 2024 तक दोबारा चांद पर जाने की योजना बना रही है. इसके तहत पहली महिला को और दशकों बाद पहले पुरुष को नासा पर भेजा जाएगा
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