MHD-05: साहित्य सिद्धान्त और समालोचना By प्रो. जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
एम.ए. हिंदी के विद्यार्थियों के लिए ‘MHD 05 साहित्य सिद्धांत और समालोचना’ का यह पाठ्यक्रम प्रस्तुत है । यह 8 क्रेडिट का पाठ्यक्रम है । एम. ए. हिन्दी के अन्य पाठ्यक्रमों में आप ने विभिन्न रचनाकारों और उनकी कृतियों यानी सृजनात्मक साहित्य का अध्ययन किया है । प्रस्तुत पाठ्यक्रम में आप साहित्यशास्त्र के सिद्धांतों और साहित्य समीक्षा अथवा आलोचना के विषय में अध्ययन करेंगे । हो सकता है आप में से कुछ विद्यार्थियों ने स्नातक स्तर पर साहित्य सिद्धांत विषयक कोई जानकारी प्राप्त की हो किंतु आप में से अधिकांश के लिए यह विषय नया है । साहित्य का मूल्यांकन करने वाला या साहित्य के सौंदर्य की परख करने वाला शास्त्र साहित्यशास्त्र कहलाता है । संस्कृत में इस शास्त्र के लिए अनेक नाम प्रचलित रहे हैं । काव्यशास्त्र, अलंकार शास्त्र, साहित्य विद्या, काव्यमीमांसा, साहित्य मीमांसा, क्रियाकल्प इत्यादि । इस शास्त्र में काव्य सौंदर्य का परीक्षण कर आधारभूत सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जाता है और इन सिद्धांतों के आधार पर ही काव्य के विविध अंगों का मूल्यांकन होता है । प्रस्तुत पाठ्यक्रम में भारतीय और पाश्चात्य चिंतन की परंपरा की जानकारी देते हुए प्रमुख आचार्यों और उनके सिद्धांतों के बारे में बताया गया है । प्राचीन सिद्धांतों के खंडन-मंडन और नवीन सिद्धांतों की स्थापना के प्रमुख बिंदुओं से अवगत कराने के साथ-साथ विद्यार्थियों को उन प्रमुख चिंतन श्रेणियों और विचारधाराओं से भी परिचित कराया गया है जिन्होंने आधुनिक आलोचना पद्धतियों को दिशा और दृष्टि दी । भारतीय और पाश्चात्य साहित्य चिंतन दृष्टि में समानता अथवा विषमता के महत्वपूर्ण पक्षों को उद्घाटित करते हुए विद्यार्थियों को भारतीय साहित्य के संदर्भ में उनकी प्रासंगिकता की पहचान कराई गई है । हिंदी आलोचना के विकास एवं स्वरूप की जानकारी दी गई है तथा प्रमुख हिंदी आलोचकों के योगदान पर प्रकाश डाला गया है । हमें विश्वास है कि यह पाठ्यक्रम हिंदी काव्यशास्त्र और आलोचना को समझने में आपके लिए अवश्य सहायक सिद्ध होगा ।।
Course layout
Week – 1 इकाई 1 : काव्य लक्षण अथवा काव्य की परिभाषा इकाई 2 : काव्य प्रेरणा और काव्य हेतु |
Week – 2 इकाई 3 : काव्य प्रयोजन इकाई 4 : शब्द - शक्ति विवेचन |
Week – 3 इकाई 5 : भारतीय काव्यशास्त्र के प्रमुख संप्रदाय – 1 |
Week – 4 इकाई 6 : भारतीय काव्यशास्त्र के प्रमुख संप्रदाय – 2 |
Week – 5 इकाई 7 : रस की परिभाषा, स्वरूप और रस निष्पत्ति |
Week – 6 इकाई 8 : साधारणीकरण इकाई 9 : काव्य का अधिकारी |
Week – 7 इकाई 10 : प्लेटो का काव्य चिंतन इकाई 11 : अरस्तू का साहित्य चिंतन |
Week – 8 इकाई 12 : लांजाइनस : उदात्त की अवधारणा इकाई 13 : जॉन ड्राइडन : युग परिवेश और आलोचना सिद्धांत |
Week – 9 इकाई 14 : स्वच्छंदतावादी काव्य चिंतन : वर्ड्सवर्थ और कॉलरिज इकाई 15 : मैथ्यू आर्नल्ड : कला और नैतिकता |
Week – 10 इकाई 16 : क्रोचे का अभिव्यंजनावाद इकाई 17 : टी. एस. इलियट का साहित्य चिंतन |
Week – 11 इकाई 18 : आई. ए. रिचर्ड्स का साहित्य चिंतन इकाई 19 : नई समीक्षा (न्यू क्रिटिसिज्म) के प्रमुख सिद्धांत |
Week – 12 इकाई 20 : आभिजात्यवाद एवं स्वच्छंदतावाद इकाई 21 : मनोविश्लेषणवादी आलोचना |
Week – 13 इकाई 22 : मार्क्सवादी आलोचना इकाई 23 : साहित्य चिंतन के विविध वाद |
Week – 14 इकाई 24 : साहित्य अध्ययन की प्रमुख पद्धतियां इकाई 25 : अस्तित्ववाद, आधुनिकतावाद और उत्तर-आधुनिकता |
Week – 15 इकाई 26 : साहित्य की आधुनिक अवधारणा और आचार्य रामचंद्र शुक्ल इकाई 27 : शुक्लोत्तर हिंदी आलोचना |
Week – 16 इकाई 28 : हिंदी की मार्क्सवादी आलोचना और डॉ. रामविलास शर्मा इकाई 29 : साहित्य की विधाएं |
Books and references
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काव्यशास्त्र, डॉ. भागीरथ मिश्र
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संस्कृत आलोचना, आचार्य बलदेव उपाध्याय
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भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका, डॉ.नगेंद्र
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रस विमर्श, आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी
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पाश्चात्य काव्यशास्त्र, डॉ.देवेन्द्रनाथ शर्मा
Instructor bio
प्रो. जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
मानविकी विद्यापीठ के हिंदी संकाय में अध्यापनरत प्रो. जितेन्द्र श्रीवास्तव हिंदी के प्रतिष्ठित कवि और आलोचक हैं । उनकी उच्च शिक्षा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली से हुई है । वे दो दशक से अधिक समय से शिक्षण कार्य कर रहे हैं । उनकी अब तक 22 पुस्तकें और 150 से अधिक आलोचनात्मक निबंध प्रकाशित हैं । ‘अनभै कथा’,‘असुन्दर सुन्दर’, ‘बिल्कुल तुम्हारी तरह’, ‘कायान्तरण’, ‘कवि ने कहा’, ‘भारतीय समाज, राष्ट्रवाद और प्रेमचंद’, ‘विचारधारा, नए विमर्श और समकालीन कविता’ तथा ‘रचना का जीवद्रव्य’ उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें हैं । प्रो. जितेन्द्र श्रीवास्तव को अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले हैं जिनमें प्रमुख हैं: भारत भूषण अग्रवाल सम्मान, देवीशंकर अवस्थी सम्मान, हिंदी अकादमी दिल्ली का ‘कृति सम्मान’, उ.प्र. हिंदी संस्थान का ‘रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार’, उ.प्र. हिंदी संस्थान का ‘विजयदेव नारायण साही पुरस्कार’, भारतीय भाषा परिषद् सम्मान, डॉ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान, और परम्परा ऋतुराज सम्मान । प्रो. जितेन्द्र श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में 100 से अधिक आमंत्रित व्याख्यान दिए हैं ।
Summary
Course Status : | Upcoming |
Course Type : | Core |
Duration : | 16 weeks |
Start Date : | 01 Sep 2021 |
End Date : | |
Exam Date : | |
Category : |
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Credit Points : | 8 |
Level : | Postgraduate |
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